आम भारतीय के लिए यह एक निराशाजनक खबर है. पेट्रोलियम की कीमत विश्व बाजार में भारी कमी के बावजूद भारत सरकार आम लोगों पर महंगाई लाद रही है. ऐसा इसने पेट्रोलियम पर टैक्स लाद कर कर दिया है.
केंद्रसरकार ने गुरुवार को पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी फिर से बढ़ा दी. इससे पहले वह दो बार टैक्स बढ़ा चुकी है. यह टैक्स 2 रुपए प्रति लीटर लादा गया है. अगर ये टैक्स नहीं बढ़ा होता तो पेट्रोल 5.75 रुपए और डीजल 4.50 रुपए तक सस्ता हो जाता.
दुनिया के बाजार में पेट्रोलियम की कीमत लगातार कम हो रही है. लेकिन भारत सरकार इसे कम कर के आम लोगों को राहत पहुंचाने के बजाये अरबों रुपये खुद अपने पास रख ले रही है. बहुत हुई महंगाई की मार, अबकी मार मोदी सरकार के नारे से सत्ता में आई सरकार अवाम को राहत पहुंचाने के बजाये अपने खजाने में 18 हजार करोड़ रुपये इकट्ठा कर रही है.
याद रखने की बात यह है कि पेट्रोल और डीजल खुले बाजार के हवाले है. यानी सरकार इस पर कोई सब्सिडी जनता को नहीं देती. जब सरकार ने पेट्रोलियम को खुले बाजार के हवाले किया तो यह घोषणा भी की ती कि बाजार के दाम के हिसाब से पेट्रोल और डीजल के दाम तय होंगे. लेकिन जब इनकी कीमत घट कर विश्व बाजार में आदी रह गयी है तो सरकार इसके दाम कम नहीं होने दे रही है. उलटे इस पर बार बार टैक्स लाद कर इसके दाम को खुद सरकार कंट्रोल कर रही है.
यूपीए सरकार के दौरान विश्व बाजार में लगातार तेल की कीमत बढ़ती रही नतीजा यह हुआ कि डीजल पेट्रोल की कीमत लगातार बढ़ती रही लेकिन जब से मोदी सरकार आई है तेल की कीमत तो घट रही है लेकिन यह सरकार इसकी घटे कीमत से मिल सकने वाली राहत जनता को न दे कर खुद अपने खजाने में भर रही है.
पेट्रोलियम मंत्री का इस मामले में तर्क है कि सरकार कई बड़ी योजनाओं के लिए पैसे जुटा रही है अगर उसे ऐसा करके पैसे मिल रहे हैं तो टैक्स बढ़ाने में गलती क्या है.