मुजफ्फरपुर के सरैया थाना के अजीतपुर गांव में रविवार को घटी हिंसा में मृतकों की संख्या के बारे में प्रशासन और सरकार के आंकड़ों पर भरोसे की कोई वजह नहीं. वह 4 की मौत बता रही है लेकिन यह आंकड़ उससे तीन गुना तक जा सकता है.
अनूप नारायण सिंह
मु डेढ़ दर्जन से भी अधिक बताई जा रही है । प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को भी इस संख्या की वास्तविक जानकारी नहीं मिल पा रही है और उन्हें प्रशासन के आंकड़ों पर भरोसा करना पड़ रहा है. सरकार व प्रशासन ने भले ही तथ्य को छुपा ले ,मगर जिनके घर उजड़ गए ,जिनकी गोद सुनी हो गई ,जिनकी मांग का सिंदूर मिटा दिए गए ,जिनकी आबरू लूट ली गयी ,जिनका अंग भंग हो गया ,उसे कैसे भुलाया जा सकता है।
अजीतपुर की ये निशानियां बयां कर रही हैं 18 जनवरी की खौफनाक और अमानवीय घटना को । दंगाइयों ने लाठी ,डंडा ,रॉड ,पेट्रोल ,तेजाब ,भाला के साथ रिवाल्वर और पिस्टल लेकर गांव पर हमला किया था ।
खबर तो यहां तक है कि सोमवार को जो लाशें सौंप गयीं उनके अंतिम संस्कार के लिए लोग नहीं मिले और पुलिस ने दूसरे गावों से लगों को बुला कर जनाजे की नमाज पढ़वाई.
आज परिवहन मंत्री रमई राम ,महाचन्द्र प्रसाद सिंह ,सांसद रामा सिंह ,पूर्व मंत्री डॉ रघुवंश सिंह समेत दर्जनों नेताओं ने अजीतपुर का दौरा करके पीड़ित परिवारों को सांत्वना दी। सीएम मांझी किन्ही कारणवश आज अजीतपुर नहीं पहुंच सके लेकिन उन्होंने पटना में स्थिति की समीक्षा की और शांति बहाल करने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिया। पुलिस का कैंप अभी भी लगा हुआ है । जिला प्रशासन के अनुसार 78 मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं और 80 परिवार प्रभावित । 27 परिवारों को 47 -47 हजार रूपया दिया गया है । मकान मरम्मती हेतु 47 परिवारों को एक -एक लाख रुपये दिए गए हैं .
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