अब बिहार की जनता की लोक शिकायतें ही नहीं सुनी जायेगी, बल्कि उसका निवारण भी होगा। सरकार ‘बिहार लोक शिकायत निवारण अधिनियम’ बना रही है। सरकार ने इसे एक मई को लागू करने का लक्ष्य तय किया है। उक्त घोषणा मंगलवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विधान सभा में की। वे विधान सभा नें राज्यपाल के अभिभाषण पर सरकार की ओर से पक्ष रख रहे थे। गवर्नर के अभिभाषण पर सीएम के जबाव से असंतुष्ट विपक्ष सदन से वाक आउट कर गया। सीएम ने कहा कि विधान सभा चुनाव के दौरान महागंठबंधन ने जो सात लक्ष्य तय किये थे, उसे पूरा करने के लिए सरकार ने अभी से ही काम करना शुरु कर दिया है।
उन्होंने कहा कि जब तक सकल घरेलू उत्पाद 8.02 प्रतिशत लक्ष्य बिहार प्राप्त नहीं कर लेता है, तब-तक हमें संतोष नहीं होगा। फिलहाल हम चार प्रतिशत से भी पीछे हैं। उन्होंने कहा कि अप्रैल, 2016 से शराब बंदी को ले कर सरकार ने काम करना शुरु कर दिया है। महिला सशक्तिकरण के लिए सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 35 प्रतिशत आरक्षण भी सरकार देने जा रही है। महादलित विकास योजना के तहत दलित और महा दलित छात्रों को हीन भावना से भी उबारने का अभियान चलायेंगे। शिक्षित बेरोजगारों को रोजगार की तलाश के लिए दो वर्षेों तक प्रति माह एक-एक हजार रुपये और उद्यम विकास के लिए हर मोरचे पर काम होगा। इसके लिए सरकार ने 500 करोड़ का फंड बनाया है।
उन्होंने कहा कि सिर्फ राजस्व गांवों में ही नहीं, बल्कि हर गांवों में घर-घर बिजली पहुंचायेंगे। सूबे के हर घर में शौंचालय और पीने का शुद्ध सप्लाई वाटर भी पहुंचायेंगे। सूबे के घर-घर को रौशन करने के लिए घर-घर बिजली कनेक्शन भी दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि 500 का आबादी वाले इलाकों को प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना के जोड़ने की तो योजना है ही, साथ ही उग्रवाद प्रभावित 11 जिलों की 250 की आबादी वाले टोलों को भी सड़कों से जोड़ा जायेगा। यह योजना केंद्र की है, शेष बचे इलाकों की सड़कों का निर्माण मुख्यमंत्री ग्रामोदय योजना के तहत कराया जायेगा।