वादे तो हर सरकार करती है लेकिन केंद्र की मोदी सरकार ने अपने ही वादे के साथ जो किसानों के साथ घात किया उसका उदाहरण खोजे नहीं मिलता.
नवल शर्मा, प्रवक्ता जद यू
जिस तरह हिटलर ने चुनाव के पहले समाज के अलग अलग वर्गों , युवाओं से लेकर बेरोजगारों तक और किसानों – मज़दूरों से लेकर पूंजीपतियों तक के लिए मायावी एजेंडा पेश किया था , ठीक उसी फॉर्मूले पर नरेंद्र मोदी जी ने भी अपना पाशा फेंका। दाव चल निकला और सरकार बन गयी ।
पर अब चूँकि सरकार के तीन साल पूरे हो चुके हैं , ऐसे में जाहिर है मोदी जी के चुनावी वादों और जमीनी हकीकत की पड़ताल होगी ।
तो शुरुआत करते हैं कृषि और किसानों से ।
भारत एक कृषि प्रधान देश है और शास्त्रों में भी किसानों की बड़ी महिमा गायी गयी है । पर मोदी जी की सरकार ने इनके साथ आज़ादी के बाद का सबसे बड़ा विश्वासघात किया । वादे तो सारे दल करते हैं , कुछ पूरे होते हैं , कुछ नहीं पूरे होते हैं । भारतीय राजनीति की यह बिल्कुल सामान्य विशेषता है । सभी ऐसा करते हैं , पर आज तक किसी दल ने चुनावी वादों को बेधड़क जुमला बताने का दुःसाहस नहीं किया था । ये तो विश्वासघात की पराकाष्ठा है । लोकलाज का कोई भय नहीं । अगर यही काम इसी रफ्तार और ढिठाई से सारे दल करने लगे तो क्या होगा इस चुनावी लोकतंत्र का।
मुझे लगता है पिछले तीन सालों में कृषि को लेकर सरकार ने एक भी काम ऐसा नहीं किया जिससे कृषक अर्थव्यवस्था की जो मौलिक आवश्यकताएं हैं उनकी पूर्ति हो सके । अगर कुछ किया तो बस छोटी छोटी बातों को तिल का ताड़ बनाकर पेश किया । जैसे सॉयल ( मिट्टी) हेल्थ कार्ड । बीजेपी नेताओं से मोदी सरकार की कृषि उपलब्धियों पर सवाल पूछें तो तपाक से वे सॉयल कार्ड का नाम लेंगे । अभी तक कितना कार्ड बना ये तो बाद की बात है , पर मिट्टी की जांच को पेश इस रूप में किया मानो इससे खेती में क्रांति ही आ जायेगी ।
सबने सुना था जब यूपी चुनाव में मोदी जी ने भाजपा की सरकार बनने पर कैबिनेट की पहली मीटिंग में ही किसानों के कर्ज माफी की घोषणा की थी । पर जब कर्ज़ माफ करने की बारी आई तो अरुण जेटली ने इसकी संभावना से भी इनकार कर दिया। साफ कह दिया की यूपी सरकार को अगर माफ करना है तो करे केंद्र उसकी कोई मदद नहीं करेगा । जेटली ने कहा कि ऐसा संभव नहीं कि केंद्र सरकार एक राज्य के किसानों को कर्ज माफी दे और दूसरे को नहीं। तो फिर केंद्र के कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने क्यों कहा था की कर्ज़ माफी के पैसे केंद्र देगा?
देश का वित्त मंत्री कुछ बोले , कृषि मंत्री कुछ बोले और किसान बीच मे पीसता रहे । और जब ज्यादा हो हल्ला हुआ तो योगी सरकार ने केवल एक लाख तक का कर्ज माफ कर एक बार फिर लॉलीपॉप थमा दिया । पहले तो बात थी कर्ज़ माफी की न की एक लाख तक की ।
खैर ,एक और उदाहरण । लोकसभा चुनाव में मोदी जी द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य में डेढ़ गुना बढ़ोतरी का वादा सबने सुना था । पर हुआ क्या ! जब बारी आयी तो सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में साफ कह दिया की किसानों को उनके उत्पादन लागत पर 50 फीसद अतिरिक्त देना संभव ही नहीं है। और लोगों को भरमाने के लिए गेहूं तथा धान के दाम में सिर्फ 50 रु0 प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी कर दी । बाकी अधिकांश फसलों में तो न्यूनतम समर्थन मूल्य में एक पैसा भी नहीं बढ़ाया ।
जारी है ,,,,,शेष अगले अंक में
[author image=”https://naukarshahi.com/wp-content/uploads/2016/02/naval.sharma.jpg” ]नवल शर्मा एक राजनीतिक कार्यकर्ता व जनता दल युनाइटेड के बिहार प्रदेश प्रवक्ता हैं. अपने मौलिक और बेबाक विचारों, टिपपणियों के लिए मशहूर नवल शर्मा अकसर न्यूज चैनलों पर बहस करते हुए दिख जाते हैं. उनसे [email protected] पर सम्पर्क किया जा सकता है.[/author]