बिहार की भाजपा गठबंधन सरकार के मौन संरक्षण में उसके मंत्री ने दोबारा इस्लाम कुबूल कर लिया. मंत्री ने जय श्री राम का नारा लगाना अपने लिए गर्व की बात बताई थी. पर अब वह जीवन भर जय श्री राम नहीं बोलेंगे. भाजपा की यह खामोशी, उसके सत्ता मोह की बेबसी है, साथ ही राम के संग उसका राजनीतिक खिलवाड़ भी. पिढिये नौकरशाही डॉट कॉम के सम्पादक इर्शादुल हक का विश्लेषण.
बिहार में भाजपा ने जदयू के साथ सरकार बना ली. जदयू कोटे के मंत्री खुर्शीद अहमद ने राजनीतिक लोभ में आ कर कह डाला कि वह जनहित में जय श्री राम का नारा सुबह शाम लगायेंगे. वह तमाम धार्मिक स्थलों पर माथा टेकते हैं. खुर्शीद के इस बयान ने कोहराम मचा दिया. इमारत शरिया के मुफ्ती सुहैल कासमी ने फतवा( इस बयान की व्याख्या) दिया कि जो राम के साथ रहीम को पूजे वह मुसलमान नहीं. इस कोहराम के बाद मंत्री की आत्मा जागी या वह दबाव में आ गये, यह कना मुश्किल है. लेकिन सत्य यह है कि उन्होने इमारत शरिया पहुंच कर अपनी गलती से तौबा की. फिर से कलमा पढ़ा. दोबारा मुसलमान बन गये. और वचन दिया कि जीवन में कभी जय श्री राम नहीं कहेंगे.
इस पूरे मामले में खास बात यह रही कि इसमें भाजपा एक खामोश तमाशाई की तरह मौन रही. जय श्री राम जैसे नारे लगाने वाले मुसलमानों को अपनी आंखों पर बिठा कर उसके पक्ष में चट्टान की तरह खड़ी हो जाने वाली भाजपा बेबस और चुप थी. आरएसएस और विश्व हिंदू परिषद के गलाफाड़ु नेता नदारद थे. अगर भाजपा सत्ता से बाहर होती तो वह ऐसे मुद्दे को राष्ट्रीय मुद्दा बना देती. चीख चीख कर कहती कि मुसलमानों ने एक मंत्री को दबाव डाल कर दुबारा इस्लाम कुबूल कर लिया. वह संविधान के संबंधित अनुच्छेद का हवाला देती. टीवी चैनल इस पर डिबेट करते. धार्मिक आजादी के अधिकार पर सवाल खड़े किये जाते. पर ऐसा कुछ नहीं हुआ. सुशील मोदी से ले कर, प्रेम कुमार और गिरिराज सिंह के जुबान सिल गयी है. भाजपा गठबंधन का मंत्री पहले दिन जय श्री राम का नारा लगाना अपने लिये गर्व की बात बताता है, दूसरे दिन लिखित दस्तावजे पर दस्तखत करके वचन देता है कि वह सिर्फ अल्लाह अकबर कहेंगे. जय श्री राम कभी नहीं बोलेंगे.
इतना सबकुछ हो गया. यह उस दिन हुआ जब बिहार की भाजपा गठबनंधन सरकार ने विश्वास मत प्राप्त किया. दूसरे दिन जब इसी भाजपा गठबंधन सरकार के मंत्रियों ने पद और गोपनीयता की शपथ ली. उसी दिन मुफ्ती सुहैल कासमी ने मंत्री खुर्शीद के खिलाफ फतवा जारी करके व्याख्या में ऐलान किया कि ऐसा शख्स मुसलमान नहीं रहा. और तीसरे दिन मंत्री ने अपने किये पर तौबा कर ली. फिर से मुसलमान हो गया. फेसबुक पर हिंदुइज्म के अमनपसंद समर्थकों ने फेसबुक पर लिखा कि मंत्री का यह आचरण श्री राम के अपमान जैसा है. मंत्री ने जय श्री राम कहने को अपनी गलती बता कर हम हिंदुओं को आहत किया है. हिंदुओं के इस आहत होने पर सुशील मोदी समेत बिहार के तमाम हिंदुत्वादी नेता चुप तो हैं हीं, केंद्र के नेता अमित शाह भी चुप हैं. राष्ट्रवाद का डंका पीटने वाले न्यूज एंकर भी चुप.
दर असल यह भाजपा व आरएसएस का सत्तामयी चेहरा है. जहां श्रीराम सत्ता प्राप्ति का जरिया तो बन जाते हैं. लेकिन उनके नाम ( श्री राम) के साथ खिलवाड़ होने से आहत हुए हिंदुओं का सहारा नहीं बनाये जाते. बिहार के मंत्रि ने दोबारा इस्लाम कुबूल करके मुस्लिम समाज को यह जता दिया कि उनसे गलती हुई है. इसलिए वह माफी मांगते हैं. पर उन्हें यह कहने से किसने रोका था कि दोबारा इस्लाम स्वीकार कर लेने के बाद भी वह श्री राम का सम्मान करते रहेंगे. उनके इस व्यवहार पर हिंदुओं के एक वर्ग का आहत होना लाजिमी है. वह भाजपा नेताओं की चुप्पी पर आहत हैं. और भाजपा इसलिए चुप है कि अगर वह इस मामले में एक शब्द भी बोलेगी तो इससे विवाद बढ़ेगा और उस विवाद से उसका सत्ता सहयोगी जदयू नराज होगा. गोया भाजपा के लिए सत्ता सहयोगी जदयू की नारजगी मोल लेने का साहस भाजपा ने खो दिया है. वह सत्ता के आगे बेबस है. उसकी यह बेबसी जय श्री राम का नारा लगाने वाले मंत्री को दोबारा इस्लाम कुबूल करते हुए झलकती है. यह भाजपा के सत्तामयी चरित्र और सत्ता के बाहर रहने के चरित्र का फर्क है.