राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष वजाहत हबीबुल्लाह ने स्वीकार किया है कि देश का कोई भी आयोग अपनी जिम्मेदारियों को उचित तरीके सने नहीं निभा पा रहे हैं.
उन्होंने कहा कि जनता को यह जानने का हक भी है और देश में ऐसा कानून भी है जिसके द्वारा लोग यह जान सकते हैं कि अनुसूचित जाति-जनजाति आयोग, पिछड़ा वर्ग आयोग या अल्पसंख्यक आयोग अपनी जिम्मेदारी क्यों नहीं निभा पा रहे हैं.
वजाहत हबीबुल्लाह शनिवार को नेशनल कंफेड्रेशन ऑफ दलित आर्गनाइजेशन्स( नैकडोर) के तीसरे राष्ट्रीय सम्मेलन के आखिरी सत्र को संबोधित कर रहे थे.उन्होंने लोगों से अपील की कि वह सरकार को बतायें कि इन आयोगों को कैसे दुरूस्त किया जा सकता है.
हबीबुल्लाह ने कहा कि सामाजिक न्याय पाना अभी इस देश के लिए सपना है जबकि इन आयोगों की जिम्मेदारी कुल मिलाकर सामाजिक न्याय पर आधारित समाज के निर्माण, इंसाफ के साथ विकास और शोषण से मुक्त समाज की स्थापना सुनिश्चित करना है.उन्होंने कहा कि 2011 की रिपोर्ट के अनुसार मुसलमानों की गरीबी पिछले कुछ सालों में दलितों से भी ज्यादा बढ़ गई है.
वजाहत हबीबुल्लाह ने कहा कि गरीबी और अमीरी की दरार और चौड़ी हो गई है.भेदभाव और बढ़ा है.आरक्षण होने के बावजूद लोगों को फायदा नहीं हुआ है.सरकार के साथ अब दौलतमंदों से पूछो कि हमारी गबीबी क्यों बढ़ रह है.
इस अवसर पर नैकडोर और ग्लोबल एलायेंस फॉर इम्प्रूव्ड न्युट्रिशन(गेन) ने दलित समुदायों के लिए पोषण के मुद्दे पर एक साथ काम करने के लिए एक समझता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये. इस समझते पर नैकडोर की ओर से अशोक भारती और गैन की ओर से सलिल कुमार ने दस्तख्त किये. इस सम्मेलन का संचालन नैकडोर के प्रतिनिधि राजेश उपाध्याय ने की.
नैकडोर के अध्यक्ष अशोक भारती ने अपने विचार व्यक्त करते हुए इस बात का अंदेशा जताया कि सरकार मनरेगा को बंद करना चाहती है ऐसे में हमें एक व्यापक लड़ाई के लिए तैयार रहना होगा क्योंकि मनरेगा ने देश के करोड़ों दलितों को रोजगार दिया है. इसलिए राजेश उपाध्याय के नेतृत्व में अखिल भारतीय मनरेगा मजदूर युनियन अपने संसाधनों से इस संघर्ष को राष्ट्रव्यापी स्तर पर छेड़ेगा.
इससे पहले के सत्र में बीजू जनता दल के सांसद बैजनाथ पांडा ने कहा कि दलितों में बेरोजगारी दूर करने के लिए उनके कौशल विकास के प्रशिक्षण की प्रक्रिया को तेज करने की जरूरत है. जबकि नैकडोर के प्रतिनिधि रोहित निमेश ने गरीबी के कारणों पर चर्चा करते हुए कहा कि पश्चिमी देशों के बरअक्स भारत में गरीबी का कारम आर्थिक ढ़ांचे की कमी के साथ साथ सामिजक ढांचे की खामी भी है इसलिए इन खामियों को दूर करके हम दलितों के रोजगार के अवसर और उनके विकास की गति को तेज कर सकते हैं.
नैकडोर का पांच दिवसीय सम्मेलन के समापन के अवसर पर देश भर से आये प्रतिनिधियों ने दलितों,पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की लड़ाई को और मजबूत करने की घोषणा की.