कुशवाहा समाज के आक्रोश मार्च पर बर्बर लाठी चार्ज की हम घोर निंदा करते हैं. पुलिस की इस कार्रवाई ने कुशवाहा समाज के प्रति नीतीश जी के रूख को भी स्पष्ट कर दिया है.
हमलोगों को रणबीर सेना के मुखिया जी के दाह संस्कार के समय पटना में जो उत्पात हुआ था उसका भी स्मरण है. सरकार ने उत्पातियों के समक्ष घुटना टेक दिया था.
दर्जनों गाड़ियाँ जला दी गई थीं. राह चलते लोग पीटे गए थे. मुख्यमंत्री को सड़क पर गंदी-गंदी गालियाँ दी जा रही थी. लेकिन सरकार कही दिखाई नहीं दे रही थी. सरकार ने मवालियों के समक्ष समर्पण कर दिया था.बहुत ही शर्मनाक स्थिति थी.
मुझे याद है मैंने नीतीश जी को कहा था कि जो राजा अपनी राजधानी की रक्षा नहीं कर सकता है वह अपने राज की रक्षा कैसे करेगा!
सबको पता है कि किसी भी विरोध के प्रति पुलिस प्रशासन का रूख सरकार के ही रूख पर ही निर्भर करता है. कुशवाहा समाज के आक्रोश मार्च में शामिल लोगों की तादाद बहुत ज्यादा नहीं थी. बहुत आसानी से पुलिस उनको अपने घेरे में ले ले सकती थी.
लेकिन पुलिस ने उन्हें गिरफ़्त में लेने के बदले उनका सर तोड़ना ज्यादा मुनासिब समझा. स्पष्ट है पुलिस उपर के निदेश का पालन कर रही थी.
उपेन्द्र कुशवाहा के सवालों का जवाब देने से नीतीश कुमार की प्रतिष्ठा गिरती थी. वे मानते हैं उनका स्तर बहुत उँचा है. उपेन्द्र जी जैसे छोटे लोगों का जवाब देने के लिए नीतीश जी को अपने स्थान से नीचे उतरना पड़ता.
इसके लिए को वे तैयार नहीं है. इतना ही नहीं आज पुलिस की कार्रवाई द्वारा नीतीश जी ने कुशवाहा समाज को भी स्पष्ट संदेश दे दिया है-‘ज्यादा कुद-फाँद मत कीजिए. अपनी हद में रहिए.’