जनता दल राष्ट्रवादी ने देश में फिर से आतंकवाद की राजनीति शुरू होने पर चिंता व्य्कत की है. दल के राष्ट्रीय संयोजक अशफाक रहमान का कहना है कि यह समय भय से पीछे हटने का नहीं बल्कि राजनीतिक रूप से डट के मुकाबला करने का है.
उन्होंने कहा कि अगर सैफुल्लाह के पिता इतन डर गये कि अपने बेटे की लाश लेने से भी इनकार कर दिया. जबकि उत्तर प्रदेश के एडीएजी ने प्रेस कांफ्रेंस करके साफ कहा था कि सैफुल्लाह का कोई लिंक आईएसआईएस से नहीं है.
अशफाक रहमान ने सवाल किया है कि जब पुलिस के पास उसके आतंकी होने का कोई सुबूत ही नहीं तो उसका एनकाउंटर कैसे जायज हो सकता है? उन्होंने कहा कि देश के शांतिप्रिय लोगों और सभी मुसलमानों को अब आंख खोलने की जरूरत है. बंद आंखों से सिर्फ डर का एहसास होता है.
रहमान ने कहा कि सच्चाई तो यह है कि देश के मुसलमानों के पास इतनी ताकत भी नहीं कि वे अपने घरों का बंटवारा कर सकें ऐसे में वे देश का भला क्या बंटवारा करेंगे. उन्होंने कहा कि मुसलमानों को देश की वफादारी का सुबूत देने की जरूरत नहीं है. 1947 में जब देश के मुसलमानों को काटा जा रहा था, बांटा जा रहा था तब भी उन्होंने अपना देश नहीं छोड़ा. क्या इस देश से मुहब्बत करने की ही उन्हें ऐसी सजा मिल रही है.
उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि आज मुसलमान एक ढेला भी फेकता है तो उसे बम फेकने के आरोप में आतंकवादी करार दिया जाता है. जबकि वास्तव में बम फोड़ने, दहशत फैलान लाशें बिछाने वाले भगवा ब्रिगेड के असीमानंद बरी कर दिया जाता है.
अशफाक रहमान ने कहा कि आतंकवादी मुसलमान हो ही नहीं सकता और इसी तरह मुसलमान कभी आतंकवादी हो ही नहीं सकता.
आईएसआईएस व तालिबान यहूदी परस्त चेहरा
उन्होंने कहा कि मुसलमान को आतंकी कहना भी एक तरह का आतंकवाद है. उन्होंने कहा कि जिस तालिबान और आईएसआईएस को आतंकवादी संगठन कहा जाता है उसके लोग मुसलमान नहीं हैं. सच्चाई यह है कि एक चेहरा को सामने करके इस्लाम को बदनाम किया जाता है. दर असल ये चेहरा यहूदी परस्त चेहरा है. उन्होंने कहा कि गौर करने की बात है कि आईएसआईएस और तालिबान जैसे संगठन शराबखानों, जुआखानों पर हमला क्यों नहीं करते और उन्हें क्यों नहीं जलाते. इसके उलट ये संगठन मस्जिदों, मजारों और मदरसों को अपने आक्रमण से तबाह करते हैं. रहमान ने सवाल किया कि मस्जिदों, मदरसों, और इबादतगाहों पर बम विस्फोट करने वाला मुसलमान कैसे हो सकता है.
अशफाक रहमान ने आरोप लगाया कि भारत में सरकार पोषित आतंकवाद जोर पकड़ता जा रहा है. उन्होंने कहा कि ऐसे आतंकवाद से निपटने का रास्ता यही है कि देश के मुसलमान राजनीतिक रूप से मजबूत हों. उन्होंने कहा कि सड़क से संसद तक मुसलमानों को अपनी आवाज खुद ही बननी होगी. उन्होंने कहा कि संसद में जोरदार आवाज बनने के लिए मुस्लिम नेतृत्व की पार्टी सशक्त करना आजकी सबसे बड़ी जरूरत है.