सारण के मशरक प्रखंड के गंडामन विद्यालय में मिड डे मील में जहर मिला कर बच्चों को मारना दर असल नरसंहार था. यह हिटलर द्वारा गैस चैम्बर में आम लोगों को मारने और बिहार में प्रतिबंधित सेनाओं द्वारा लोगों को गोलियों से भून देने जैसा था.
क्योंकि जांच रिपोर्ट में इस बात को स्पष्ट किया गया है कि सब्जी में इस्तेमाल किये जाने वाले तेल में ही जहर मिला दिया गया था.
फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (एफएसएल) में हुई जांच की रिपोर्ट से पता चला है कि सब्जी बनाने के लिए इस्तेमाल किये गये तेल में कीटनाशक मोनोक्रोटोफास मिला दिया गया था. यह कीटनाशक आर्गेनो फास्फोरस मिला है, उसकी मात्र बाजार में उपलब्ध मानक की तुलना में पांच गुना से भी अधिक थी.
एडीजी (पुलिस मुख्यालय) रवींद्र कुमार ने शनिवार शाम संवाददाता सम्मेलन में रिपोर्ट जारी करते हुए बताया कि एफएसएल की टीम ने घटनास्थल से प्लास्टिक के डिब्बे को जांच के लिए उठाया था. जांच के क्रम में यह बात सामने आयी कि जहर इसी में मिलाया गया. इस प्लास्टिक के डिब्बे में ही सब्जी बनाने का तेल लाया गया था.
सरकार को इस घटना को नरसंहार घोषित करना चाहिए. और इस घटना को उसी रूप में लिया जाना चाहिए. क्योंकि नरसंहार के लिए यह जरूरी नहीं कि बंदूक की गोलियां या तलवार से जनसमूह की हत्या की जाये. जन समूह की हत्या करने के लिए किसी भी तरीके का इस्तेमाल नरसंहार ही होता है.
जिस तरह से सरकार के राजनीतिक नेतृत्व के बदले नौकरशाह इस मामले पर बोलने के लिए भेजे जा रहे हैं यह दुखद है.राजनीतिक नेतृत्व आखिर इस मामले में खामोश क्यों है यह समझ से परे हैं.
इस नरसंहार में शामिल लोगों का सरकार पता लगाये और उनके खिलाफ सामुहिक हत्या का मामला चलाया जाया जाना चाहिए.
चूंकि सरकार खुद ही इस नतीजे पर पहुंची है कि खाने में ऐसे रासायनिक विष का इस्तेमाल किया गया था जो आम तरह के जहर से पांच गुणा ज्यादा खतरनाक होता है, ऐसे में इस बात की आशंका बलवती होती है कि यह पूरी घटना एक सुनियोजित साजिश के तहत अंजाम दी गयी थी. ऐसे में इस साजिश का उद्भेदन तो जरूरी है ही, इस साजिश में शामलि लोगों को सजा दिलाना भी उतना ही अनिवार्य है.