जो लोग सुरक्षित यौन सबंबंध के लिए कॉनडोम इस्तेमाल करते हैं उन्हें यह जानकर धक्का लग सकता है कि कुछ कॉन्डोम खुद कई तरह की बीमारियों के लिए जिम्मेदार हैं.
मुम्बई मिरर में छपी मयूरी फडणीस की रिपोर्ट में पुणे के यशवंत राव मोहिते कॉलेज (वाईएमसी), भारती विद्यापीठ डीम्ड यूनिवर्सिटी के छात्रों के ताजा रिसर्च के हवाले से कहा गया है कि बाजार में मौजूद 12 कॉन्डम के ब्रैंड्स में से 3 खतरनाक हैं. इनके इस्तेमाल से आपको त्वचा की खतरनाक बीमारी और डायरिया तक हो सकता है.
सेफ नहीं पाए गए कॉन्डम के तीन ब्रैंड्स लोकल हैं और सामान्य तौर पर 30 रुपये के डिब्बे में 10 के पैक में उपलब्ध हैं, जबकि महंगे ब्रैंड्स के पैकेट की कमत 100 से 110 रुपये तक है. उनमें एक सरकार द्वारा प्रचारित किए जाने वाला लाल रंग का कॉन्डम ब्रैंड है और इसे पॉप्युलेशन सर्विस इंटरनैशनल, इंडिया (पीएसआई) बड़े पैमाने पर मुफ्त में बांटता है. यह रिसर्च पांच छात्रों ने वाईएमसी के असिस्टेंट प्रोफेसर भारत बलाल के नेतृत्व में किया है।.
प्रोफेसर बलाल ने बताया कि स्टडी में यह बात सामने आई है कि कॉनडोम में ऐसे जीवाणु पाए गए हैं, जिनसे क्यूटिनस एंथ्रैक्स और पल्मोनरी एंथ्रैक्स (हेमोरेजिक न्यूमोनिया) और खूनी डायरिया जैसी खतरनाक बीमारियां हो सकती हैं.
रिसर्चरों ने बाजार में मौजूद 12 ब्रैंड्स के सैंपल लिए। इनमें सभी रेंजे के कॉन्डम थे यानी महंगे और सस्ते भी। टेस्ट के दौरान 25 घंटे बाद 10 ब्रैंड के कॉनडोम में माइक्रोब कोलोनाइजेशन के लक्षण दिखने लगे.ये सभी सस्ते या मीडियम रेंज के ब्रैंड्स थे. मीडियम रेंज के 7 ब्रैंड्स तो फिर भी रोग पैदा करने वाले नहीं पाए गए, लेकिन तीन सस्ते ब्रैंड्स में माइक्रो-ऑर्गेनिज्म पाए गए.इन सैंपलों को नैशनल सेंटर फॉर सेल साइंसेज में भेजा गया है. इसमें से एक ब्रैंड जिसे सरकार से मान्यता प्राप्त हैं, उसमें सिलस एंथ्रैसिस पाया गया है, जो होमोसेक्सुअल के बीच पाया जाता है.