अब तक के सबसे बड़े सर्वे में पता चला है कि कानूनी लगाम के बावजूद भारत में हर तीसरा आदमी छुआछूत करता है इनमें ब्रहमण सबसे आगे हैं. पढिये आंखें खोलने वाली रिपोर्ट-
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यह सर्वे 42 हजार घरों पर केंद्रित करके नेशनल काउंसिल ऑफ अप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च { एनसीएईआर} और अमेरिका के मैरिलैंड विश्वविद्यालय ने किया है.
दिलचस्प बात यह है कि इस सर्वे में यह भी पता चला है कि छुआछूत का रोग मुसलमानों भी है, लकिन इसका अनुपात अपेक्षाकृत कम है. वही दूसरी तरफ छुआछूत करने वालों में पिछड़ी और एससी वर्ग के लोग शमिल हैं.
एनसीएआर का गठन 1956 में हुआ और यह भारत का सबसे पुराना और बड़ा अलाभकारी संगठन है.यह सर्वे मानव विकास सर्वे का हिस्सा है. सर्वे का पूरा भाग 2015 तक प्रकाशित किया जाना है.
पूछे सवाल- क्या आपके परिवार में कोई भी व्यक्ति छुआछूत का व्यवहरा करता है?
और क्या आप किसी अनुसूचित जाति के व्यक्ति को अपने किचन का बर्तन उपयोग करने देंगे?
इस सर्वे में जवाब देने वालों से जो प्रश्न पूछे गये उसके प्रारूप के अनुसार यह पूछा गया कि क्या आपके परिवार में कोई भी व्यक्ति छुआछूत का व्यवहरा करता है? और अगर इस प्रश्न का जवाब किसी ने ना में दिया तो उससे पूछा गया कि क्या आपके के किचेन में अगर अनुसूचित जाति का कोई व्यक्ति आये और आपके बर्तन का उपयोग करे तो क्या आप इसकी अनुमित देंगे?
इस सर्वे के जो नतीजे सामने आये उसमें चौकाने वाली बात यह सामने आयी कि सबसे ज्यादा छुआछूत करने वालों में ब्रह्मण सबसे आगे हैं. कुल ब्रह्मण रिस्पांडेंट में 52 प्रतिशत लोगों ने स्वीकार किया कि वे छुआछूत करते हैं. जबकि गैर ब्रह्मण अगड़ी जातियों में 24 प्रतिशत जवाब देने वालों ने कुबूल किया कि वे छुआछूत का व्यवहार करते हैं.
इस सर्वे का दिलचस्प पहलू यह है कि पिछड़ी जाति के लोगों में भी 33 प्रतिशत ने स्वीकार किया कि वे छुआछूत करते हैं. इस तरह इस सर्वे में चौकाने वाली बात यह भी सामने आयी कि अनुसूचित जाति के 15 प्रतिशत लोगों ने भी स्वीकार किया कि छुआछूत करने की परिपाटी उनके परिवार में भी है. जबकि अनुसूचित जाति के 22 प्रतिशत लोगों ने भी यह स्वीकार किया कि छुआछूत का व्यवहार वो भी करते हैं. हालांकि छुआछूत करने वाले परिवार की सामाजिक हैसियत का जिक्र नहीं है पर लगता है कि दलित सुमादाय में छुआछूत करने वालों में ज्यादातर वैसे लोग रहे होंगे जिनकी सामाजिक हैसियत ऊंची होगी.
इस सर्वे में मुसलमानों और ईसाइयों को भी शामिल किया गया. इस्लाम में खासकर छुआछूत न करने की बार बार ताकीद की गयी है और ऐसी मान्यता भी रही है कि मुसलमानों में छुआछूत नहीं है पर इस सर्वे ने आंखें खोलने वाले नतीजे सामने लाये हैं. इसके अनुसार 18 प्रतिशत मुसलमानों ने माना कि वे छुआछूत करते हैं. इसी प्रकार 5 प्रतिशत ईसाइयों ने भी कुबल किया कि वे छुआछूत का व्यवहार करते हैं.
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