उच्चतम न्यायालय सांसदों और विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामलों की त्वरित सुनवाई की व्यवस्था किये जाने के पक्ष में है। न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा की पीठ ने भारतीय जनता पार्टी नेता अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर आज सुनवाई के दौरान कहा कि वह ऐसे मामलों की सुनवाई छह माह के भीतर निपटाये जाने के पक्ष में है।
श्री उपाध्याय ने माननीयों के हितों के टकराव के मुद्दे पर एक समान नीति बनाने के निर्देश देने की न्यायालय से मांग की है। याचिकाकर्ता ने दागी सांसदों और विधायकों, कार्यपालिका और न्यायपालिका से जुड़े लोगों के खिलाफ आपराधिक मामलों का निपटारा जल्द करने और एक बार दोषी होने पर उन पर आजीवन प्रतिबंध लगाने का अनुरोध न्यायालय से किया है। न्यायालय ने आपराधिक मामलों में सजायाफ्ता नेताओं के आजीवन चुनाव लड़ने पर पाबंदी लगाने संबंधी याचिका पर चुनाव आयोग के ढुलमुल रवैये को लेकर उसे गत 12 जुलाई को कड़ी फटकार लगायी थी। शीर्ष अदालत ने इस मामले में चुनाव आयोग का रवैया स्पष्ट नहीं होने पर उसे फटकार लगाते हुए कहा था कि आप (आयोग) अपना पक्ष साफ क्यों नहीं करते कि सजा पाने वालों पर आजीवन चुनाव लड़ने की पाबंदी का समर्थन आप करते हैं या नहीं?
पीठ ने कहा था कि आयोग ने अपने हलफ़नामे में कहा है कि वह याचिका का समर्थन करता है? लेकिन अभी सुनवाई के दौरान आयोग कह रहा है कि वह आपराधिक मामलों में दोषी नेताओं के चुनाव लड़ने पर आजीवन पाबंदी के पक्ष में नहीं है। आखिर रुख में इस तरह के विरोधाभासी बदलाव के मायने क्या हैं?