राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को 10 प्रतिशत आरक्षण के लिए संसद से पारित 103वें संविधान संशोधन कानून को शनिवार को मंजूरी दे दी। , सरकार की ओर से जारी अधिसूचना पत्र में इस आशय की जानकारी दी गयी है। इस कानून के माध्यम से आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को सरकारी नौकरियों और उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश में अधिकतम 10 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की गयी है। यह आरक्षण मौजूदा आरक्षणों के अतिरिक्त होगा।
इस संविधान संशोधन के जरिये सरकार को ‘आर्थिक रूप से कमजोर किसी भी नागरिक” को आरक्षण देने का अधिकार मिल गया। ‘आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग’ की परिभाषा तय करने का अधिकार सरकार पर छोड़ दिया गया है जो अधिसूचना के जरिये समय-समय पर इसमें बदलाव कर सकती है। इसका आधार पारिवारिक आमदनी तथा अन्य आर्थिक मानक होंगे।
इस कानून के माध्यम से सरकारी के अलावा निजी उच्च शिक्षण संस्थानों में भी आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण की व्यवस्था लागू होगी, चाहे वह सरकारी सहायता प्राप्त हो या न हो। हालाँकि, संविधान के अनुच्छेद 30 के तहत स्थापित अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों में यह आरक्षण लागू नहीं होगा। साथ ही नौकरियों में सिर्फ आरंभिक नियुक्ति में ही सामान्य वर्ग के लिए आरक्षण मान्य होगा।
गौरतलब है कि गत सात जनवरी को मंत्रिमंडल ने इस बाबत फैसला लिया था और संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा में 124वां संविधान संशोधन विधेयक 2019 के तौर पर इसे अंतिम दिन आठ जनवरी को आनन-फानन में पेश किया गया था। लोकसभा से मंजूरी के बाद इसे राज्य सभा की मंजूरी के लिए लिए ऊपरी सदन की कार्यवाही एक दिन आगे बढ़ाने पड़ी थी। राज्य सभा से नौ नवम्बर को पारित होने के बाद इस 103वें संविधान संशोधन कानून को राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा गया था।