जनता दल यूनाईटेड ने नरेंद्र मोदी सरकार पर बिहार को केंद्र की ओर से मिलने वाली राशि का आधा हिस्सा अब तक नहीं देने का आरोप लगाया और कहा कि केंद्र की यह कार्रवाई सहकारी संघवाद की भावना के खिलाफ तथा संवैधानिक व्यवस्था का उल्लंघन है। जदयू के प्रदेश प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने पटना में कहा कि केंद्र द्वारा अबतक बिहार के हिस्से की आधी राशि नहीं देना सहकारी संघवाद की भावना के विरुद्ध और संवैधानिक व्यवस्था का उल्लंघन है। यह केंद्र में सत्तासीन दल या केंद्र सरकार की इच्छा का विषय नहीं, बल्कि ‘सकल बजटीय सहायता’ की संवैधानिक व्यवस्था है, जिससे राज्यों के लिए बजट में केंद्रीय सहायता की राशि तय होकर उन्हें दी जाती है।
श्री प्रसाद ने कहा कि वित्त वर्ष 2016-17 के समाप्त होने में केवल 25 दिन ही बचे हैं और केंद्र सरकार जानबूझकर राशि रोक कर बिहार के विकास और कल्याण की योजनाओं को प्रभावित किया जा रहा है। ऐसे में विभिन्न मदों में स्वीकृत राशि को सरेंडर करने के अलावा कोई विकल्प ही नहीं बचेगा। जदयू प्रवक्ता ने कहा कि बिहार सरकार केंद्र से विशेष राज्य का दर्जा देने और केंद्रीय योजनाओं में केंद्र सरकार द्वारा घटा दी गई उसकी हिस्सेदारी बढ़ाने की मांग करती रही है। लेकिन, उन मांगों को पूरा करना तो दूर, बजट में प्रावधान की गई राशि भी बिहार को नहीं दी जा रही है। उन्होंने मोदी सरकार पर राज्य के लोगों से विधानसभा चुनाव में हुई करारी हार का बदला लेने का आरोप लगाते हुये कहा कि बिहार के लोगों ने भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को वोट नहीं दिया तो केंद्र सरकार राज्य के 11 करोड़ लोगों से बदला ले रही है।
श्री प्रसाद ने भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी पर निशाना साधते हुये कहा कि इस मामले में भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी को अपना साढ़े आठ साल का कार्यकाल याद करना चाहिए, जब वे खुद केंद्र प्रायोजित योजनाओं को लेकर तत्कालीन केंद्र सरकार को कोसते रहते थे। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि आज जब केंद्र में उनकी पार्टी की सरकार है, तब इस प्रकार की अनसुनी का क्या मतलब है। वह बताएं कि उनके लिए दल बड़ा है या बिहार।