मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने बाढ़ पीडि़त क्षेत्रों के अधिकारियों से कहा है कि राहत व बचाव कार्य में तेजी लाएं और पुनर्वास की व्यवस्था तीव्रता से करें। बाढ़ प्रभावित सहरसा, सुपौल, मधेपुरा के हवाई सर्वेक्षण के बाद सहरसा में अधिकारियों के साथ बैठक में उन्होंने कहा कि कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह धरती समाजवाद की रही है और बीएन मंडल जैसे लोग यहीं के थे। हम उन्हें नमन करते हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, बैठक में मौजूद आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव को उन्होंने नसीहत दी कि बाढ़ से प्रभावित होने वाले लोगों को सरकार से काफी अपेक्षाएं रहती हैं। यह सरकार अपने दायित्वों के निर्वहन में विफल हुई तो जनता माफ नहीं करेगी। बैठक में मौजूद प्रमंडलीय आयुक्त की मुखातिब होकर सीएम ने कहा कि बाढ़ पीडि़तों की उम्मीदों के आधार आप ही हैं। इनकी उम्मीदें टूटनी नहीं चाहिए। पीडि़तों के राहव व बचाव में धन की कोई कमी नहीं आएगी। सरकार एक-एक व्यक्ति के पुनर्वास के लिए कृतसंकल्प है। सीएम बैठक में शामिल लोगों को आश्वस्त किया कि हम फिर जल्दी ही इस इलाके में आएंगे और यहां के हालात का जायजा लेंगे।
इस बैठक में मौजूद वित्त मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने कहा कि बाढ़ कोसी की त्रासदी है। इस चुनौती से निबटने के लिए हर स्तर पर प्रयास किया जा रहा है। बैठक में स्थानीय सांसद व अन्य जनप्रतिनिधियों ने स्थानीय समस्याओं को प्रमुखता से उठाया और कहा कि जनवितरण प्रणाली में सुधार की आवश्यकता है। इस बात पर भी बल दिया कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में परमानंद सामुदायिक भवन बनाया जाए, जहां बाढ़ के दौरान लोग आकर आश्रय ले सकें। इसमें नागरिक सुविधाओं की व्यवस्था की जानी चाहिए। इस बैठक में मधेपुरा के सांसद पप्पू यादव, सुपौल की सांसद रंजीत रंजन, भूमि सुधार मंत्री नरेंद्र नारायण यादव, जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव दीपक कुमार समेत आइजी, मधेपुरा, सहरसा व सुपौल जिलों के डीएम व एसपी के अलावा स्थानीय जनप्रतिनिधि भी मौजूद थे।