केन्द्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री राम विलास पासवान ने कहा कि बिहार सरकार ने राज्य के विभिन्न गोदामों से किये गये चावल उठाव का सही आंकड़ा प्रस्तुत नहीं किया है, जिसके कारण भुगतान नहीं किया गया है। श्री पासवान ने आज पटना में कहा कि बिहार ऐसा प्रदेश है, जहां राज्य सरकार स्वयं धान खरीद कर चावल मिलों को देती है और चावल मिलें धान से चावल तैयार कर राज्य के एजेंसियों को उपलब्ध कराती है। उन्होंने कहा कि इस कार्य के लिए राज्य सरकार अपनी राशि खर्च करती है। इसके लिए तिमाही के शुरु में केन्द्र सरकार से अग्रमि राशि लेने का भी प्रावधान है ।
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि बिहार सरकार चावल मिलों से चावल लेकर जनवितरण प्रणाली की दुकानों के माध्यम से उपभोक्ताओं को वितरित करती है । राज्य सरकार को गोदामों से राशन दुकान तक चावल ले जाने के लिए केन्द्र सरकार की ओर से अनुदान दिया जाता है। श्री पासवान ने कहा कि देश में धान की खरीद का कार्य बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। श्री पासवान ने कहा कि दिल्ली में हुयी बैठक में बिहार के खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग के प्रधान सचिव बी.प्रधान भी शामिल हुये थे और उनकी सहमति से बिहार में धान खरीद के लिए 31 जनवरी 2015 की अवधि तय की गयी थी।
उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार इस अवधि को बढ़ा सकती है। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि अवधि को बढ़ाने के लिए राज्य सरकार को स्पष्ट रुप से यह बताना चाहिए कि धान की कटाई कब तक होगी और कितनी अवधि उन्हें चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए जरुरी है कि केंद्र नहीं चाहती है कि बिचौलिये किसानों के धान कौड़ी के भाव खरीदें और सरकार को न्यूनतम सर्मथन मूल्य पर बेचें।