प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि चाहे एक मजदूर अपना पसीना बहा रहा हो या संत अपनी तमस्या कर रहा हो अगर ये सारी शक्तियां एक दिशा में चल पड़े व सोचे कि किस प्रकार की विचार प्रवाह समयानुकूल हो सकती है तो यह सार्थक होगा।
उज्जैन के सिंहस्थ मेले में उनहोंने कहा कि हम उस संस्कार सरिता से निकले हुए लोग हैं, जहां एक भिक्षुक भीक्षा मांगने जाता है तो कहता है कि जो दे उसका भी भला, जो न दे उसका भी भला हो। हम सबके कल्याण के लिए सोचने वाले लोग हैं। हम इतनी महान परंपरा को खो तो नहीं दे रहे हैं, लेकिन विचार करते हैं तो लगता है कि नहीं हमारे अंदर यह सामर्थ्य भरा हुआ है।
लाल बहादुर शास्त्रीजी ने कभी लोगों से आग्रह किया था कि एक समय खाना छोड़ दें, देश को अनाज की जरूरत है, देश के लोगों ने ऐसा किया। अभी भी शास्त्री जी की परंपरा के लोग हैं, जो सप्ताह में एक दिन भोजन नहीं ग्रहण करते हैं। मैंने लोगों से आग्रह किया था कि आप संपन्न हैं तो रसोई गैस सब्सिडी छोड़ दें। मैं सिर झुका कर कहना चाहता हूं कि एक करोड़ से ज्यादा परिवारों ने गैस सब्सिडी छोड़ दी। अगर एक करोड़ परिवार गैस सब्सिडी छोड़ रहे हैं तो यह पैसा सरकार की तिजौरी में नहीं वापस गरीब की झोली में ही जाना चाहिए। हमने उस पैसे से गरीबों को तीन साल में पांच करोड़ गैस सिलिंडर बांटने का निर्णय लिया है। यह पर्यावरण से जुड़ा विषय है। इससे कार्बन उत्सर्जन कम होगा और पर्यावरण भी बचेगा।