मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पिछले नौ-साल वर्षों की उपलब्धियों को बिहार के लिए मील का पत्थर मानते हैं। उनका मानना है कि स्कूली छात्राओं के लिए पोशाक और साइकिल योजना क्रांतिकारी कदम था, जिससे न केवल स्कूलों में छात्राओं की उपस्थिति बढ़ी, बल्कि इन योजनाओं ने समाज का माइंडसेट भी बदला। उनका मानना है कि साइकिल के पहिए पर सवार होकर विकास ने गति पकड़ी। इसने एक साथ सभी क्षेत्रों को प्रभावित किया।
नौकरशाही ब्यूरो
मुख्यमंत्री आज पटना में आद्री और पीएफआई के तत्वावधान में आयोजित कार्यशाला में मीडिया और सिविल सोसाइटी के साथ संवाद कर रहे थे। उन्होंने कहा कि स्वयं सहायता समूहों ने महिलाओं की भूमिका को बदल दी है। स्वास्थ्य, महिला और विकास के साथ शिक्षा को जोड़कर जमीनी स्तर पर बदलाव महसूस किया जा सकता है। सीएम ने इस बात पर जोर दिया कि समाज की मानसिकता बदलने में मीडिया की बड़ी भूमिका है।
इस कार्यशाला में सोशल, इलेक्ट्रानिक और प्रिंट मीडिया के प्रतिनिधि, ब्यूरो प्रमुख और संपादक आमंत्रित थे। सिविल सोसाइटी के लोग भी कार्यशाला में मौजूद थे। इस कार्यशाला को लेकर यह माना जा रहा है कि चुनावी वर्ष में नीतीश कुमार संपादकों के साथ संवाद में अपना पीआर ठीक करने प्रयास भी कर रहे हैं। नीतीश कुमार अपने कार्यकाल की उपलब्धियों को फोकस करने और विकासात्मक केस स्टडी की खबरों को प्रमुखता देनी की वकालत की। उन्होंने इस बात की भी सराहना की कि मीडिया विकासात्मक खबरों को स्थान भी देता रहा है।
विकास की प्रतिबद्धता
मुख्यमंत्री से पहले पत्रकार राजेंद्र तिवारी, दीपक मिश्रा, चंदन शर्मा, श्रीकांत प्रत्यूष, कुमार प्रबोध आदि ने भी खबरों को लेकर अपनी बातों को शेयर किया। खबरों का बाजार और बाजार की खबर पर भी चर्चा हुई। ‘सुशासन’ के सामने विकास की प्रतिबद्धता हरतरफ दिख रही थी। कार्यशाला में आद्री के शैबाल गुप्ता, पीएफआई की पूनम मुतरेजा, नीरजा चौधरी, निधि कुलपति, वंदना मिश्रा, प्रियदर्शिनी त्रिपाठी, मुख्यमंत्री के प्रधान डीएस गंगवार, स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा, सीएम के सचिव कुमार भी मौजूद थे।
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