संसद की एक समिति ने साइबर सुरक्षा के लिए आवंटित की जाने वाली निधि में लगातार की जा रही कटौती पर चिंता व्यक्त की है। सूचना और तकनीकी मंत्रालय से संबद्ध संसद की स्थायी समिति ने अपनी टिप्पणी में कहा है कि देश में विभिन्न क्षेत्रों में साइबर अपराध लगातार बढ़ रहे हैं और इन पर नियंत्रण के लिए अपराध विशेषज्ञों की फौज तैयार करने, उन्हें प्रशिक्षण देने और तकनीकी विकास जैसे कई क्षेत्रों में काम करने की जरूरत है, लेकिन सरकार इसके लिए बजट आवंटन लगातार घटा रही है।
वर्ष 2014 के दौरान इसके लिए बजट अनुमान 116 करोड़ रुपए से घटाकर संशोधित अनुमान 58 करोड़ रुपए किया गया, जबकि वास्तविक खर्च 54.59 करोड़ रुपए था। इसी तरह से2015-16 के दौरान बजट अनुमान 100 करोड़ रुपए था और इसमें संशोधित अनुमान घटाकर 80 करोड रुपए किया गया जबकि वास्तविक खर्च 21.11 करोड़ रुपए था। समिति ने कहा कि साइबर अपराध के बजट में फिर कटौती की गयी है। वर्ष 2016-17 के लिए दौरान बजट अनुमान 338.50 करोड़ रुपए था और इसके लिए आवंटन 70 करोड़ रुपए किया गया। संसदीय समिति का कहना है कि विभाग ने उसे बताया कि अपराध को रोकने के लिए कई कदम उठाने की बात की है, हालांकि इससे जुड़ी गतिविधियों के लिए बजट को घटाकर 500 करोड़ रुपए किया गया है।