भारतीय जनता पार्टी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर राज्य के विकास के लिए तय किये गये सात निश्चयों में कृषि क्षेत्र की अनदेखी करने का आरोप लगाया है। भाजपा विधानमंडल दल के नेता और पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने पटना में कहा कि मुख्यमंत्री बतायें कि आखिर कृषि को सात निश्चय में क्यों नहीं शामिल किया गया। कृषि कैबिनेट को क्यों भंग कर दिया गया।
श्री मोदी ने सवालिया लहजे में कहा कि कृषि रोड मैप (2012-17) अपने निर्धारित सभी मानकों पर फेल क्यों हो गया। कृषि रोड मैप तो अब सरकार को याद भी नहीं है, जिसका नतीजा है कि कृषि यंत्रीकरण के लिए 175 करोड़ के प्रावधान के बावजूद मात्र पांच प्रतिशत राशि ही खर्च हो पाई है। पावर ट्रिलर, जीरो ट्रिलर और ट्रैक्टर आदि वितरण में लक्ष्य का 35 प्रतिशत भी हासिल क्यों नहीं किया जा सका। इसी प्रकार जैव उर्वरक, बायोगैस आदि के क्षेत्र में 25 प्रतिशत भी उपलब्धि क्यों नहीं हासिल की गई।
पूर्व उप मुख्यमंत्री ने कहा कि दलहन उत्पादन में मात्र 19 प्रतिशत तो मकई में मात्र 46 प्रतिशत लक्ष्य ही हासिल हो सका है। तिलहन और फल उत्पादन में भी 30 से 35 प्रतिशत ही लक्ष्य हासिल किया जा सका है। भाजपा नेता ने कहा कि बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार के कार्यकाल में कृषि ऋण पर चार प्रतिशत ब्याज पर एक प्रतिशत अनुदान दिया जाता था, जिसे वर्तमान सरकार ने पिछले तीन साल से बंद कर दिया है। इसी तरह खरीफ में डीजल अनुदान के तौर पर 175 करोड़ के प्रावधान के बावजूद सरकार 39 करोड़ भी नहीं बांट पाई है।