जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार करीब दो साल बाद मुख्यमंत्री आवास एक अण्णे मार्ग में लौट आए हैं। उनकी वापसी 14 अगस्त को हुई और 15 अगस्त को जदयू नेताओं और कार्यकर्ताओं को ‘जूठन’ गिराने के लिए बुलाया गया था। उस दिन नेताओं के नाश्ता-पानी के बाद वे गांधी मैदान के ऐतिहासिक समारोह में शामिल होने गए थे।
वीरेंद्र यादव
सर्कुलर रोड का सात नंबर मकान। पूर्व मुख्यमंत्री के रूप में नीतीश कुमार को आवंटित किया गया था। पिछले साल फरवरी में नीतीश कुमार ने कुर्सी संभालने के बाद ही घोषणा कर दी थी कि वे सात नंबर में ही रहेंगे। राजनीतिक गलियारे में यह माना जा रहा था कि विधान सभा चुनाव के कारण नीतीश अण्णे मार्ग में नहीं जाना चाहते हैं। लेकिन नवंबर में हुए चुनाव के बाद नीतीश कुमार फिर सत्ता में आए। इसके बाद भी वे सात नंबर में ही रह रहे थे। भाजपा नेता सुशील मोदी ने कई बार सीएम के सात नंबर में रहने पर आपत्ति जतायी। इस बारे में सार्वजनिक रूप से पत्र भी लिखा। इस पत्र के आलोक में नीतीश ने अपना तर्क दिया और कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री के रूप में सात नंबर बंगला आजीवन आवंटित गया है। इसके साथ जदयू के नेताओं ने राजस्थान, उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में पूर्व सीएम को बंगला आवंटित होने का जिक्र किया। गृहमंत्री राजनाथ सिंह के बारे में कहा गया कि वह केंद्रीय मंत्री के रूप में दिल्ली में बंगला लिए हुए हैं और पूर्व मुख्यमंत्री के रूप में लखनऊ में बंगला आवंटित है। जदयू के इस तर्क के बाद भाजपा वाले भी चुप हो गए।
सु्प्रीम कोर्ट के फैसले का असर
इस बीच सर्वोच्च न्यायालय के एक फैसले ने पूर्व मुख्यमंत्रियों के बंगला प्रेम पर वज्रपात कर दिया। यूपी के एक मामले की सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने पूर्व मुख्यमंत्रियों के बंगला आवंटन को गैरकानूनी ठहरा दिया था। इस फैसले के आलोक में सीएम नीतीश कुमार ने सात नंबर छोड़कर एक अण्णे मार्ग में आने का फैसला किया और 15 अगस्त से विधिवत रूप से सीएम आवास में रह रहे हैं। हालांकि यह पता नहीं चल पाया है कि सात नंबर बंगला का आवंटन रद हुआ है या नहीं। लेकिन फिलहाल सात नंबर की सुरक्षा में कोई कमी नहीं की गयी है।