सारण के डीएम दीपक आनंद के स्थानांतरण से आक्रोशित स्थानीय लोगों ने आज राज्य सरकार के खिलाफ विरोध – प्रदर्शन किया. इस स्वत:र्स्फूत आंदोलन में बड़ी संख्या में छात्रों और स्थानीय लोगों ने सरकार की इस कार्रवाई पर रोष जताया. उन्होंने राज्य सरकार से इस फैसले पर विचार करने और दीपक आनंद का ट्रांसफर रद्द करने की मांग की.
नौकरशाही डेस्क
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि सारण के जिलाधिकारी को साजिश के तहत बलि का बकरा बनाया ला रहा है, जबकि पतंगोत्सव के दौरान हुए नाव हादसे के लिए ज्यादा जिम्मेवारी पटना जिला प्रशासन और प्रमंडलीय आयुक्त की बनती है. उनका कहना है सारण डीएम के खिलाफ एकतरफा कार्रवाई की गई, जो ठीक नहीं है. प्रदर्शनकारियों ने आगामी दिनों सरकार के रूख को ध्यान में रख कर सारण बंद करने की भी बात कही.
मकर संक्रांति के दिन 14 जनवरी को हुए पतंगोत्सव के बाद हुए भीषण नाव हादसे में 24 लोगों की जान चली गई थी, जिसके बाद सरकार की ओर से गठित जांच दल ने सारण के डीएम दीपक आंनद को इसके लिए जिम्मेवार माना था. फिर उनका ट्रांसफर कर दिया था, मगर विधान परिषद चुनाव के आदर्श आचार संहिता के कारण चुनाव आयोग ने उनका ट्रांसफर रद्द कर दिया. अब जब चुनाव खत्म हो गए, फिर से उनका ट्रांसफर करते हुए सरकार ने उन्हें पद के लिए प्रतीक्षारत रखा है.
ध्यान रहे कि सारण के लोग दीपक आनंद के 25 महीने के कार्यकाल से संतुष्ट हैं. उन्होंने डिजिटल मीडिया को अपनी कार्यशैली में शामिल कर कठिन परिस्थितियों को अच्छे से संभाला. सारण जिले में डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के उम्दा क्रियान्वयन और उनके कौशल को सम्मान देते हुए केंद्र सरकार ने दिसंबर 2015 में राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित भी किया है.