भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह यानी ‘साव जी’ का मंच यादव, भूमिहार व ब्राह्मणों ने लूट लिया। बाकी लोग तो कुर्सी खोजने में ही वक्त गुजार दिये। बिहार में बनिया वर्ग के लिए ‘साव’ संबोधन का ज्यादा इस्तेमाल होता है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह पटना के बापू सभागार में भाजपा के शक्ति केंद्र प्रभारियों को संबोधित करने आये थे। हाल खचाखच भरा हुआ था। नीचे से ऊपर तक लोग ही लोग। व्यवस्था में पार्टी के कार्यकर्ता जुटे हुए थे। हॉल के बाहर भी भाषण सुनने की व्यवस्था थी। हर जगह कार्यकर्ताओं की भीड़ थी।
बापू सभागार से वीरेंद्र यादव
सभा को लोकसभा चुनाव 2019 के प्रचार का औपचारिक शुरुआत भी कहा जा सकता है। इसके लिए पार्टी पूरी ताकत झोंक चुकी थी। 22 सांसद, 100 से ज्यादा टिकटार्थी, 50 से ज्याद विधायक, 30 के करीब विधान पार्षद और साथ में सरकार में होने का लाभ। सबने मिलकर अमित शाह के स्वागत को ऐतिहासिक बना दिया। भाजपा नेताओं का दावा है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय कसम खाकर-खाकर अमित शाह की झोली को आबाद करने का ‘दावा’ कर रहे थे। उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी भी डबल इंजन के सहारे 2019 की ‘वैतरणी’ पार करने का दावा कर रहे थे।
पार्टी अध्यक्ष अमित शाह करीब पौने तीन बजे बापू सभागार पहुंचे। कार्यकर्ताओं में उत्साह उफान मार रहा था। अमित शाह ने ऊपर से नीचे तक कार्यकर्ताओं को निहारा, दीप जलाया और सभा का औपचारिक उद्घाटन किया। मंच पर पहली पंक्ति में आसीन हुए। पहली पंक्ति की शेष सीटें यादव, भूमिहार और ब्राह्मण ‘लूट’ चुके थे। पहली पंक्ति में रामकृपाल यादव, नित्यांनद राय, भूपेंद्र यादव व नंदकिशोर यादव अपनी ‘बर्थ’ पक्की कर चुके थे। भूमिहार गिरीराज सिंह व सीपी ठाकुर और ब्राह्मण मंगल पांडेय व अश्विनी चौबे भी पहली लाइन में थे। हालांकि प्रेम कुमार, राधामोहन सिंह, रविशंकर प्रसाद व सुशील मोदी भी पहली पंक्ति में थे। मंच का संचालन विधायक मिथिलेश तिवारी कर रहे थे तो शक्ति केंद्रों को दायित्व बोध का पाठ संगठन महामंत्री नागेंद्र नाथ त्रिपाठी पढ़ा रहे थे।
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अमित शाह का मंच दलितों के लिए रहा ‘अछूत’
अमित शाह ने भाजपा को दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बताया। लेकिन अमित शाह के मंच पर किसी दलित या महादलित नेता को जगह नहीं दी गयी। अतिपिछड़ी जाति की राजनीति का दावा करने वाली भाजपा के सिर्फ दो अतिपिछड़ी जाति के नेता ही मंच पर थे। यह भी विडंबना है कि जिस जाति के सबसे ज्यादा नेता मंच पर विराजमान थे, उस जाति का सबसे कम वोट भाजपा को मिलता है।
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कभी दायें तो कभी बायें हाथ से पसीना पोंछते रहे
अमित शाह ने 3.13 बजे अपने भाषण की शुरुआत की और 3.54 पर भाषण समाप्त किया। करीब 41 मिनट के भाषण में चार बार पसीना पोंछा। कभी दायें तो कभी बायें हाथ से पसीना पोंछ रहे थे। अमित शाह ने अपने भाषण के 17वें, 23वें, 29वें और 38वें मिनट पर पसीना पोंछा। एक हाथ से चश्मा उतार कर दूसरे हाथ से तौलिया से चेहरे पर पसर रहे पसीने को पोंछ रहे थे।
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नीतीश की चर्चा करते समय बचाव की मुद्रा में रहे शाह
अमित शाह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जब भी चर्चा कर रहे थे, वे बचाव की मु्द्रा में दिख रहे थे, जबकि अन्य मौके पर आक्रामक बने रहे। उन्होंने तीन प्रसंगों में नीतीश की चर्चा की। सबसे पहले कहा- एनडीए से चंद्राबाबू गये तो नीतीश बाबू हमारे साथ आये। दूसरी बार में कहा- हमें आता है साथियों को संभालना और सम्मान देना। तीसरी बार लालू यादव के संदर्भ में नीतीश की चर्चा करते हुए कहा कि अब नीतीश जी और सुशील मोदी की सरकार है। पैसा नीचे तक जाएगा। अमित शाह जब 2014 में हारने वालों को गिना रहे थे तो नीतीश कुमार को भूल गये।