सासाराम लोकसभा क्षेत्र की पहचान पूर्व उपप्रधानमंत्री जगजीवन राम से रही थी। वे आजीवन सासाराम आरक्षित सीट से निर्वाचित होते रहे थे। उनके देहांत के बाद छेदी पासवान जनता दल के टिकट पर पहली बार 1989 में निर्वाचित हुए। फिलहाल इस सीट पर छेदी पासवान भाजपा के सांसद हैं। जगजीवन राम के बाद सासाराम तब चर्चा में आया, जब 2009 में मीरा कुमार लोकसभा अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित हुई थीं। वह सासाराम से लोकसभा सदस्य थीं। पिछले साल राष्ट्रपति के चुनाव में मीरा कुमार यूपीए की उम्मीदवार बनायी गयी थीं। हालांकि उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
2014 के लोकसभा चुनाव में मीरा कुमार को भाजपा के छेदी पासवान ने हराया था।
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वीरेंद्र यादव के साथ लोकसभा का रणक्षेत्र – 4
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सांसद — छेदी पासवान — भाजपा — पासवान
विधान सभा क्षेत्र — विधायक — पार्टी — जाति
मोहनियां — निरंजन राम — भाजपा — रविदास
भभुआ — रिंकी रानी पांडेय — भाजपा — ब्राह्मण
चैनपुर — बृजकिशोर बिंद — भाजपा — बिंद
चेनारी — ललन पासवान — रालोसपा — पासवान
सासाराम — अशोक कुमार — राजद — कुशवाहा
करगहर — वशिष्ठ सिंह — जदयू — कुर्मी
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2014 में वोट का गणित
छेदी पासवान — भाजपा — पासवान — 366087 (44 फीसदी)
मीरा कुमार — कांग्रेस — रविदास — 302760 (36 फीसदी)
केपी रमैया — जदयू — दक्षिण भारतीय 93310 (11 फीसदी)
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छेदी पासवान के खिलाफ पटना हाई कोर्ट में शपथ पत्र में जानकारी छुपाने को आधार बनाकर उनके निर्वाचन को चुनौती दी गयी थी। पटना हाईकोर्ट ने इसी आधार पर उनका चुनाव रद कर दिया था। इसके कारण भी सासाराम सुर्खियों में आया था। हालांकि बाद में छेदी पासवान पटना हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गये। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी और मामले को सुनवाई के लिए रख लिया। इसके बाद से यह मामला लटका हुआ ही है।


सामाजिक बनावट
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सासाराम लोकसभा में विधान सभावार सामाजिक समीकरण अलग-अलग है। भभुआ में ब्राह्मण व कुर्मी बहुतायत में हैं तो करगहर में कुर्मी बहुतायत में हैं। चैनपुर में बिंद की आबादी भी काफी बतायी जाती है। लोकसभा क्षेत्र में जाति का हिसाब पूरी तरह अनुमानित और जाति विशेष के दावों पर आधारित होता है। इस कारण इसे बहुत विश्‍वसनीय नहीं माना जा सकता है। इसके बावजूद इसे पूरी तरह से निराधार भी नहीं कहा जा सकता है। सासाराम लोकसभा क्षेत्र में ब्राह्मण, राजपूत व मुसलमानों के वोटर डेढ़-डेढ़ लाख के आसपास हैं। अतिपिछड़ी जातियों के वोटर पौने दो लाख के आसपास हैं। इसमें बिंद, नोनिया, मल्लाह, कहार की आबादी काफी है। 90 हजार के आसपास रविदास वोटर होंगे तो 70 हजार के आसपास पासवान होंगे। कुशवाहा व यादव के वोटर लगभग बराबर एक-एक लाख होंगे। कुर्मी वोटरों की संख्या 80 हजार से अधिक बतायी जाती है।
भाजपा की सीट
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एनडीए और महागठबंधन में सीट को लेकर कोई विवाद नहीं दिखता है। एनडीए में इस सीट पर भाजपा का स्वाभाविक दावा बनता है। यहां से तीन बार भाजपा सांसद के रूप में मुन्नी लाल निर्वाचित हुए थे। अभी भी भाजपा ही इस सीट से निर्वाचित है। इस कारण जदयू का दावा नहीं बनता है। उधर यही हाल महागठबंधन का भी है। मीरा कुमार दो बार कांग्रेस के टिकट पर निर्वाचित हुई हैं। तीसरी बार चुनाव हार गयीं। यदि मीरा कुमार इस सीट से चुनाव लड़ना चाहती हैं तो उनका स्वाभाविक दावा बनता है। लेकिन मीरा कुमार किसी और सीट से चुनाव लड़ेंगी तो इस पर राजद दावा ठोक सकता है। हालांकि इसकी संभावना कम ही लगती है।
कौन-कौन हैं दावेदार
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अभी तक भाजपा से छेदी पासवान और कांग्रेस से मीरा कुमार को दोनों पार्टियों के प्रमुख दावेदार के रूप में देखा जा रहा है। मीरा कुमार की दावेदारी पर कोई संकट नहीं दिख रहा है। लेकिन छेदी पासवान की दावेदारी पर संशय का बादल दिख रहा है। हालांकि छेदी पासवान कहते हैं कि वे लगातार चुनाव की तैयारी में रहते हैं। सर्वाधिक समय हम अपने संसदीय क्षेत्र को देते हैं। लोगों के साथ सीधा संबंध है। उनका दावा अपनी जगह पर है, लेकिन उनके दावों को खारिज करने वाले भी कम नहीं है। सासाराम से भाजपा के पूर्व सांसद मुन्नी लाल के पुत्र व पूर्व विधायक शिवेश राम भी इस बार लोकसभा चुनाव में किस्मत आजमाना चाहते हैं। वह छेदी पासवान की तुलना में खुद को ज्यादा उपयुक्त उम्मीदवार बता रहे हैं। सासाराम में सीधा मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच होने की उम्मीद है।

By Editor


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