लघु और मध्यम श्रेणी की पत्रिकाएँ, नव-लेखकों के लिए, पाठशाला और कार्यशाला की तरह होती हैं। ऐसी पत्रिकाओं में नवोदितों के लिए पर्याप्त अवसर होते हैं। किसी कवि-लेखक के लिए, विशेष रूप से नये कवियों-लेखकों के लिए, उनकी रचना का प्रकाशन सबसे अधिक सुखदायी होता है।
प्रकाशन से उनमें उत्साह और लिखने की शक्ति व प्रेरणा मिलती है। इस लिए लघु पत्र-पत्रिकाओं का बड़ा महत्त्व है। इनका महत्त्व इसलिए भी है कि बड़े पत्रों से जो चीजें जाने-अनजाने छूट जाती हैं, उन्हें इनमे स्थान मिल जाता है।
यह विचार आज यहां,हिन्दी साहित्य सम्मेलन में, साहित्यिक संस्था भारतीय भाषा साहित्य समागम द्वारा प्रकाशित साहित्यिक त्रैमासिक ‘नया भाषा भारती संवाद’ के नये अंक का लोकार्पण करते हुए सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने व्यक्त किये। डा सुलभ ने कहा कि, यह पत्रिका भारत के उन प्रदेशों में भी प्रतिष्ठा अर्जित कर रही है, जहां की मातृ-भाषा हिन्दी नही है, यह अत्यंत प्रसन्नता और परितोष की बात है। भारत वर्ष में हिन्दी को लोकप्रिय बनाने में यह एक बड़ा योगदान दे रही है। इसमें देश भर में हो रही साहित्यिक गतिविधियों के समाचार हीं नही, रचनात्मक साहित्य और पुस्तकों की समीक्षाएँ भी स्थान पा रही है।
समारोह के मुख्य अतिथि और वरिष्ठ कथाकार जिया लाल आर्य ने पत्रिका के संपादक को इस बात के लिए बधाई दी कि, इसमें साहित्यिक-स्तर को बचाए रखा है और देश भर के साहित्यकारों को इसमें पर्याप्त अवसर मिल रहे हैं। यह साहित्य समाज के लिए अत्यंत उपयोगी और कल्यानकारी पत्रिका है।
समारोह के अध्यक्ष तथा पत्रिका के प्रधान संपादक नृपेन्द्र नाथ गुप्त ने पत्रिका के नियमित और स्तरीय प्रकाशन की अपनी प्रतिबद्धता को दुहराते हुए कहा कि, साहित्य समाज में उनका जो सम्मान और स्थान है, उसका सारा श्रेय इस पत्रिका का ही है। इस पत्रिका का राष्ट्रीय-स्तर पर जो लोकप्रियता मिल रही है, वह उन्हें भी चकित करती है। उन्होंने कहा कि ‘हिन्दी’ की लोकप्रियता जितनी विदेशों में बढी है, उतनी भारत में नहीं। जबतक भारत में राजभाषा के रूप में हिन्दी तथा अन्य भारतीय भाषाओं को उचित सम्मान नही मिलता तबतक इसे स्वतंत्र कहे जाने का अधिकार नही है।
लोकार्पण समारोह में, वरीष्ठ कवि सत्य नारायण, सम्मेलन के उपाध्यक्ष पं शिवदत्त मिश्र, साहित्य मंत्री डा शत्रुघ्न प्रसाद, डा शंकर प्रसाद, डा कृष्णकांत शर्मा, योगेन्द्र प्रसाद मिश्र, डा मेहता नगेन्द्र, बांके बिहारी साव, डा विनय कुमार विष्णुपुरी, बच्चा ठाकुर, राज कुमार प्रेमी, डा शांति ओझा, वीरेन्द्र नारायण यादव, शंकर शरण मधुकर, डा नागेश्वर प्रसाद यादव, जय प्रकाश पुजारी, डा आर प्रवेश, कृष्ण कन्हैया, प्रवीर पंकज, गोपाल भारतीय, आनंद किशोर मिश्र, कुमारी स्मृति, ड बी एन विश्वकर्मा तथा नेहाल कुमार सिंह ‘निर्मल’ ने भी अपने विचार व्यक्त किये।
अतिथियों का स्वागत डा उपेन्द्र राय ने तथा धन्यवाद ज्ञापन पत्रिका के प्रबंध संपादक प्रो सुखित वर्मा ने किया। मंच का संचालन किया आचार्य आनंद किशोर शास्त्री ने॥