मैं तेलंगाना के सिकन्दराबाद मे रेलेवे भर्ती परिक्षा देकर किसी तरह अपनी जान बचाकर घर वापस आ गये हैं. परंतु जो दूर्दशा झेलनी पड़ी वह शायद ही भूल पाऊं.
दीपक मंडल, सिंकदराबाद से लौट कर
प्रशासन और छात्रों के साथ झड़प का कोई विशेष मतलब नही है परंन्तु पुलिस के आला अधिकारियों के आदेश पर र्निदेश छात्रों को बेहरमी से पीटना निश्चित ही आश्चर्य की बात थी। यह सर्वाधिक आर्श्चयजनक है की रेलवे बोर्ड की बेरुखी के कारण हमें इन हालात से गुजरना पड़ा ।
यह परीक्षा बीते रविवार को आयोजित की गयी थी.
रेल भर्ती बोर्ड ने केन्द्रीयकृत रोजगार सुचना संख्या 01/2014 के अर्न्तगत सहायक लोको पायलट एंव तकनीशियन श्रेणी के लिए भर्ती के लिए नियुक्ति की सूचना निकाली थी.
देश भर के लाखो छात्रों ने इसके लिए आवेदन किया था इस के लिए सिकन्दराबाद रेलवे बोर्ड ने 29.6.2014 को लिखित परीक्षा का आयोजन किया था। सिकन्दरा बाद हम हजारों की संख्या मे इस लिखित परीक्षा मे सम्मीलित होने के लिए किसी तरह पहुच तो गये परन्तु वापस आने के क्रम मे आध्रप्रदेश पुलिस के हाथो हजारो बिहारी परीक्षार्थियों को डंडे खाने पड़े.
मैं भी इस परीक्षा मे सम्मीलित होने के लिए सिकन्दराबाद गया था ।अपने शुभचिन्तकों और अपने गुरु के आर्शिवाद से घर वापस पहुंच तो गया परन्तु बिहारी छात्रों के प्रति वहां की पुलिस काजो अमानवीय चेहरा देखा उसे देखकर मेरा हौसला टूट गया ।कई वर्षो से इस परीक्षा को मै तैयारी मे लगा था कई शुभअवसर को इस परिक्षा के कारण मैने त्याग दिया था जिनका मलाल मुझे बैचन कर दिया है । सिकन्दराबाद पहुंचने के बाद किसी तरह लाज मे रात भर ठहरा था इसके लिए एक बेड के लिए 700रुपये देना पड़ा था ।
लेकिन जब परीक्षा के बाद हम सिकंदराबाद रेलवे स्टोशन पहुंचे तो वहां देखा कि हजारों छात्रों की भीड़ है लेकिन पुलिस वाले छात्रों के साथ जानवरों के जैसा व्यवहार कर रहे थे. छात्रों को ट्रेनों से उतारा जा रहा था और उन पर बेरहमी से लाठियां बरसायीं जा रही थीं.
बिहारी छात्रों के साथ दूसरे राज्यों में दुर्व्यवहार की खबरें मैं कई बार पढ़-सुन चुका था पर यह पहला अवसर था जब हम खुद पुलिस जुल्म के गवाह बने. मुझे भी लाठियां खानी पड़ी.