उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव बता रहे हैं कि वह खुद को फैसले लेने और आदेश देने तक सीमित नहीं रखने वाले. वह काम की बारीकियों और प्रक्रिया तक में अपना इंवॉलमेंट चाहते हैं ताकि नतीजा अपने सही स्वरूप में सामने आ सके.
इर्शादुल हक, एडिटर नौकरशाही डॉट इन
जब आप दस सर्कुलर रोड स्थित राबड़ी देवी के आवास के उस हिस्से में पहुंचेंगे, जहां उपुमख्य मंत्री तेजस्वी यादव ने अपना निजी कार्यालय बना रखा है, तो आप पायेंगे कि देर रात तक वह कई महत्वपूर्ण योजनाओं की फाइलों की पेचीदगियों को समझने में लगे रहते हैं. वह तीन विभागों के मंत्री हैं- पथ निर्माण, भवन निर्माण और पिछड़ा वर्ग कल्याण. तीन अलग-अलग कार्यालयों के अलावा जब वह आवास पर होते हैं तो उनका निजी कार्यालय ही सरकारी दफ्तर होता है. जहां वह देर रात तक काम करते हैं.
देर रात तक काम
अभी रात के 9 बज चुके हैं. वह फाइलों में गुम हैं और कुछ पेचीदगियों से जूझ रहे हैं. इस पेचीदगी को वह तुरत क्लारिफाई करना चाहते हैं. इसके लिए वह पथनिर्माण विभाग के प्रधान सचिव सुधीर कुमार को फोन लगाते हैं. सुधीर आने ही वाले हैं. इसी बीच वह बताते हैं, ‘राज्य की जनता को बेहतरीन, गुणवत्तापूर्ण और समय सीमा के भीतर आउटपुट चाहिए इसलिए मैं मंत्री की पारम्परिक भूमिका से अलग कुछ करना चाहता हूं. मैं नहीं चाहता कि खुद को आदेश देने और फैसले करने तक सीमित रखूं. इसलिए मैंने तमाम प्रक्रिया को समझना पहला लक्ष्य रखा है. मैं तमाम प्रक्रिया में अपना इंवॉल्वमेंट चाहता हूं. ताकि काम की तकनीकी बारीकियों को जान सकूं. ऐसा करने से काम के निप्टारे की तमाम बाधायें जल्दी से दूर हो जायेंगी’.
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नौकरशाही से सहयोग
आम तौर पर कोई मंत्री फैसले तक खुद को सीमित रखता है. तकनीकी प्रक्रिया और पेचीदगियों में फंसने की जिम्मेदारी ब्यूरोक्रेट्स पर छोड़ देता है. लेकिन तेजस्वी एक नयी कार्यशैली विकसित करना चाहते हैं, आखिर क्यों? इस सवाल का जवाब देने से पहले तेजस्वी एक अध्ययन रिपोर्ट का हवाला देते हैं. वह कहते हैं “2012 में हॉंगकॉंग स्थित पॉलिटिकल ऐंड इकोनॉमिक रिस्क कंसलटेंसी की आयी थी. इस रिपोर्ट में भारत की नौकरशाही को एशिया की सबसे निकृष्ट नौकरशाही के रैंक पर रखा गया था”. तेजस्वी बताते हैं, “मेरा मानना है कि अगर राजनीतिक नेतृत्व नौकरशाही से सहोयगात्म रवैया रखे तो हालात बदल सकते हैं क्योंकि अल्टिमेटली तमाम परिणाम की जिम्मेदारी तो राजनीतिक नेतृत्व के सर ही आती है, यह अच्छा हो चाहे बुरा”.
भविष्य की ओर
तेजस्वी की ये बातें उनके इरादे को स्पष्ट कर देती हैं कि वह आने वाले दिनों में कैसे काम करना चाहते हैं. इन सवालों के बाद जब उनसे पूछा जाता है कि पथ निर्माण विभाग में उनकी क्या प्राथमिकतायें हैं. वह कहते हैं- हमारी योजना है कि तमाम सड़कें, पल, फ्लाई ऑवर जो भी बनें वह आने वाले 30-35 वर्षों की जरूरतो का ध्यान रख कर बने. बढ़ती आबादी और वाहनों की लगातार बढ़ती संख्या के कारण देखा जाता है कि 10 पंद्रह सालों में ही कई सड़कें, पुल और फ्लाई ऑवर वाहनों के प्रेशर को बर्दाश्त करने लायक नहीं रह जाते. इसलिए भविष्य की जरूरतों का पूरा ध्यान रख कर निर्माण हमारी प्राथमिकता है. इसी बात के मद्देनजर जो स्टे हाईवे अभी 3 मीटर चौड़ी हैं उन्हें 7 मीटर चौड़ी की जायेंगी. इसके लिए आवश्यक हुआ तो जमीन अधिग्रहण भी किया जायेगा.
गुणवत्ता हर हाल में
पथनिर्माण और भवन निर्माण जैसे विभाग के बारे में एक आम धारणा यह रहती है कि इसके अधीन होने वाले कामों में गुणवत्ता की कमी और भ्रष्टाचार का बोलबाला रहता है. ऐसे में ऐसी स्थापित धारणाओं को कैसे बदलेंगे. इस सवाल के जवाब में तेजस्वी स्पष्ट कहते हैं- हम न गुणवत्ता से समझौता करेंगे और न ही भ्रष्टाचार से.इसके लिए नियमानुसार मुझे चाहे जो करना पड़े. साथ ही तेजस्वी यह भी जोड़ते हैं- हमारी हर संभव कोशिश होगी कि हम तमाम परियोजनायें समय सीमा के अंदर पूरी करें. समय सीमा बढ़ने से आम जन को परेशानी तो होती है साथ ही परियोजना पर अतिरक्त खर्च बढ़ता चला जाता है.
उपमुख्यमंत्री की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी और उसके महत्व को तेजस्वी यादव बखूबी समझते हैं. उन्हें पता है कि चुनौती गंभीर है. वह कहते भी हैं कि हम जनता की उम्मीदों पर खरा उतरने की पूरी कोशिश करूंगा. साथ ही वह जोड़ते हैं हमारी कोशिश है कि हमारे काम से मुख्यमंत्री जी खुद को गर्वान्वित महसूस करें. हमारी पूरी कोशिश है.
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