मेधा ने केंद्र पर साधा निशाना, बिहार की तारीफ की, कहा, धर्मनिरपेक्ष राजनीति और जनांदोलनों की शक्ति यदि कहीं बहुत अच्छे से दिखाई दिया है तो वह बिहार की धरती है. यहां संपूर्ण क्रांति और नवनिर्माण का सिर्फ नारा नहीं बल्कि आंदोलन चला है
नौकरशाही ब्यूरो, पटना.
जिन नदियों के किनारे हमारी सभ्यता, धर्म आदि फूले, आज हम उसको भी बचाने की सोच रहे हैं. फरक्का तोड़ो की बात गंगा बचाओ आंदोलन में हम शुरू से उठा रहे हैं. सिर्फ नमामि गंगे आैर नमामि बह्मप़ुत्र करने से कुछ नहीं होता. आज बहुत जरूरी हो गया है कि बिहार से नदियों को बचाने का संदेश जाये न कि तटबंधों को. मेधा पाटकर ने ज्ञान भवन में आयोजित सेमीनार में कुछ इसी तरह केंद्र पर निशाना साधा. उन्होंने आगे कहा की आज सहमति लोग भूल ही चुके गये हैं, विमर्श भी भूलने लगे हैं. यहां राष्ट्रीय विमर्श से एक एजेंडा निकलने की बात है वह बहुत महत्वपूर्ण है. शासन में संवाद के महत्व को गांधी जी ने बताया. चंपारण सत्याग्रह के हरेक पहलू को देखते हुए हमलोग महसूस करते हैं कि आज हमें भी उसी मार्ग पर चलना पड़ रहा है. जिस जमींदारी की बात गोपाल कृष्ण गांधी ने कही है, वह अाजादी के पहले के जमींदारी से भी बड़ी समस्या है. एक-एक इंड्रस्ट्रीयल कॉरिडोर के लिए तीन-चार लाख हेक्टेयर जमीन को हस्तांतरित किया जा रहा है. ऐसा करते समय ग्राम सभा या स्थानीय लोगों की मर्जी नहीं पूछी जा रही है. इन सब का विरोध करना गांधीजी को सच्ची श्रृद्धांजली होगी.
जल जंगल जमीन पर हो गांव का अधिकार
उन्होंने कहा की जल, जंगल जमीन पर गांव का अधिकार होना चाहिए. आज खेती खत्म होते जा रही है, नदियां भी नहीं बची. राजनैतिक इच्छा शक्ति बिहार की एक बड़ी विशेषता रही है. धर्मनिरपेक्ष राजनीति और जनांदोलनों की शक्ति यदि कहीं बहुत अच्छे से दिखाई दिया है तो वह बिहार की धरती है. यहां संपूर्ण क्रांति और नवनिर्माण का सिर्फ नारा नहीं बल्कि आंदोलन चला है. हमारे बंबई की रैलियों में बिहार की महिलाये पांच-छह महीने के छोटे बच्चों को लेकर भी पहुंच जाती हैं. नीतीश जी ने फरक्का की बात की है. यह भी एक बड़ी चीज है.