लंदन में तेजस्वी

बिहार के डिप्टी चीफ मिनिस्टर तेजस्वी यादव द्वारा लंदन के एक समारोह में दिये गये अंग्रेजी भाषण का हिंदी अनुवाद सिर्फ नौकरशाही डॉट कॉम पर आप के लिए पेश किया जा रहा है.

लंदन में तेजस्वी
लंदन में तेजस्वी

प्रिय मित्रों

मेरे लिए यह गर्व का क्षण है कि मैं यहां ( लंदन) आपके सामने बिहार के बारे में बात रख रहा हूं. उस बिहार से जहां का मैं रहने वाला हूं. मैं बिहार में ट्रांसपोर्टेशन के विकास पर बात रखूंगा लेकिन उससे पहले मैं बिहार के बारे में कुछ तथ्यों को रखना चाहता हूं.

बिहार भारत के 29 राज्यों में से एक है जो भारत की कुल भूमि के 2.87 प्रतिशत हिस्से में फैला है जबकि देश की कुल आबादी का 8.6 प्रतिशत लोग वहां रहते हैं.

बिहार के 80 प्रतिशत लोग कृषि पर निर्भर है. जबकि 9.2 करोड़ लोग गांवों में रहते हैं. राज्य में साक्षरता की दर मात्र 50 प्रतिशत के करीब है. पारम्परिक रूप से आर्थिक विकास में चिंता का यह एक मूल कारण है.

 

लेकिन इन तमाम बातों के बावजूद पिछले एक दशक में बिहार में विकास की दर 14.3 प्रतिशत के करीब रही है. विकास की यह दर 19.3 प्रतिशत तक भी रही है. जबकि निर्माण और मैनुफेक्चरिंग सेक्टर में 16.5 प्रतिशत की विकास दर रही है.

हमारी प्राथमिकता

विकास की इस दर के कारण ही बिहार में सड़क निर्माण की प्राथमिकता काफी बढ़ी है. 2010 में राज्य में वाहनों की कुल संख्या 20 लाख 27 हजार के करीब थी जो कि मात्र पांच वर्षों में बढ़ कर दोगुनी से भी ज्यादा यानी 40 लाख 82 हजार हो गयी.

ऐसे में राज्य में रोड नेटवर्क की कुल लम्बाई एक लाख 41 हजार किलो मीटर है जबकि इसमें 1 लाख 22 हजार कि.मी ग्रामीण सड़कें है.

 

हम सड़क निर्माण की दिशा में लगातार आगे बढ़ रहे हैं. इसके लिए हमने यूरोप की कम्पनी इकोरे की मदद से मास्टरप्लान तैयार किया है ताकि सड़क निर्माण की दिशा में और काम हो सके. इस मास्टरप्लान के तहत विजन 2020 पर काम कर रहे हैं. इसके तहत अनेक बड़े जिलों के लिए भी हम काम करने वाले हैं.

इस समय हमारे सामने चार महत्वपूर्ण चुनौतियां हैं.

  1. पुनर्वास की समस्या के चलते कभी-कभी सड़क निर्माण में रुकावट
  2. सड़कों पर लगातार बढ़ती जाम की समस्या
  3. सड़क सुरक्षा की कमी
  4. हाईवे नेटवर्क की कमी के कारण व्यापार में प्रतिस्पर्धा बढ़ाने की चुनौती

इसके अतिरिक्त हमारे समक्ष 3 तरह की तकनीकी समस्यायें भी हैं.

तकनीकी चुनौतियां

1.अतिक्रमण और सड़क की क्षमता की कमी के कारण चुनौतियां

  1. भूमि अधिग्रहण और पुनर्वास की चुनौतियां
  2. व्याहारिक तौर पर सड़कों के वर्गीकरण की चुनौतियां.

इन तमाम चुनौतियों से निपटने के लिए रोड मास्टरप्लान बनाया गया है.जो समयबद्ध रूप से आगे बढ़ रहा है इसके लिए हमने 20 साल की रुप रेखा तैयार की है.

हमारा विजन

20 साल के मास्टरप्लान लागू होने से सभी वर्गों से जुड़े लोगों के लिए ट्रांसपोर्ट की सुविधा मिलेगी जो उच्चगुणवत्ता की होगी.

हमारा मिशन

समयबद्ध रूप से सड़कों के विकास से जनकल्याण की दिशा में हम मजबूती से आगे बढ़ेंगे इससे आर्थिक विकास को खूब गति तो मिलेगी ही साथ ही गरीबी दूर करने में भी मदद मिलेगी.

इस मास्टरप्लान के तहत हम 2035 तक 5 हजार किलो मीटिर नेशनल हाइवे, 6 हजार किलो मीटर स्टेट हाइवे और 25 हजार किलो मीटर जिला सड़कों का निर्माण करेंगे. इस पूरी परियोजना के लिए हमें 14 अरब अमेरिकी डॉलर की आवश्यकता पड़ेगी लेकिन राज्य की आर्थिक स्थिति को देखते हुए इतनी बड़ी राशि का आंतरिक स्रोत से हासिल करना कठिन है.

हमारा अनुमान है कि इस राशि का 75 प्रतिशत हिस्सा में बजटीय प्रावधान से जुटायेंगे जबकि निजी क्षेत्र से हम दस प्रतिशत तक प्राप्त करेंगे. बाकी 15 प्रतिशत की राशि के लिए हमारी सरकार राज्य सड़क फंड के गठन पर विचार कर रही है.

अंत में आप सबका शुक्रिया

मैं स्वीकार करता हूं कि इस चुनौती से नबटने के लिए बड़े रानीतिक और प्रशासनिक इच्छाशक्ति की जरूरत है. मैं सड़क निर्माण में जुडे तकनीकी विशेषज्ञों, प्रशासकों, और इस आयोजन में सामिल प्रतिनिधियों से गुजारिश करूंगा कि वे हमारे इस मिशन को सफल बनाने में अपना सहयोग करें.

मैं एक बार फिर आप सभी का धन्यवाद व्यक्त करता हूं कि आपने हमें अपनी बात रखने का समय दिया.

तेजस्वी प्रसाद यादव

उपमुख्यमंत्री सह मंत्री पथनिर्माण विभाग, बिहार सरकार

 

 

 

 

By Editor


Notice: ob_end_flush(): Failed to send buffer of zlib output compression (0) in /home/naukarshahi/public_html/wp-includes/functions.php on line 5427