सिविल सेवा परीक्षा में दलितों-पिछड़ों की लगातार बढ़ती नुमाइंदगी के बावजूद एससी,एसटी और ओबीसी के नौकरशाह समाज के लिए कुछ खास नहीं कर पाते. महेंद्र यादव अपनी संक्षिप्त टिप्पणी में इस ओर इशारा कर रहे हैं.
सिविल सेवा में इस बार 1078 सीटों में से 314 ओबीसी, 176 एससी, 89 एसटी =कुल 579 आरक्षित तबके से हुए हैं। पिछले पांच सालों में कुल 5228 सीटों में से अपने-अपने आरक्षण के साथ कुल 2774 प्रत्याशी आरक्षित तबकों से चुने गए हैं।
एससी-एसटी का आरक्षण शुरू से लागू है और मंडल कमीशन लागू हुए भी तकरीबन 25 साल होने को आ रहे हैं। स्वाभाविक है कि बहुत बड़ी संख्या इन तबकों की सिविल सेवा में आ चुकी है। इस हिसाब से तो सरकारी मशीनरी में बहुत सुधार तो हो ही जाना चाहिए, लेकिन क्या वो दिखता है?
इतने सारे अधिकारी हैं, फिर भी एससी एसटी ओबीसी हाशिये पर ही क्यों हैं.?अधिकतर अभ्यर्थियों के लिए ये सफलता उनकी निजी उपलब्धि है, जिसका वो सोसायटी को तनिक भी हिस्सा वापस नहीं करना चाहते। वो कामयाब हों, उन्हें शुभकामनाएँ,पर उनकी सफलता पर उछलने-कूदने को मैं तैयार नहीं।
नियुक्ति के बाद इनकी चर्चा तभी सुनाई देती है जब इनके साथ कुछ भेदभाव होने लगता है। जब ऐसा कुछ होगा तब हम साथ आ जाएंगे, तब तक आप लोग अपनी अपनी नौकरी, और सुविधाओं का उपभोग कीजिए।
इस सूची पर नजर डालिए और देखिए कि किस श्रेणी की कितनी भागीदारी है
Total seats: OBC- SC- ST- Year920 270, 148, 74 -2010910 255, 157, 78 -2011998 295, 169, 77 -20121122 326, 187, 92 -20131278 354, 194, 98 -2014कुल5228 1500, 855 , 419 = 2774 (OBC, SC, ST)
[author image=”https://naukarshahi.com/wp-content/uploads/2016/05/mahendra.yadav_.jpg” ]महेन्द्र यादव IIMC के पूर्व छात्र हैं। देश और विदेश के मीडिया समूह में काम करने के बाद इनदिनों एक दशक से सहारा समय- मध्यप्रदेश/छत्तीसगढ़ चैनल में वरिष्ठ पत्रकार हैं.सामाजिक न्याय के मुद्दे पर बेबाक लिखने के लिये जाने जाते हैं। ।[/author]