अमेरीका की खुफिया एजेंसी सीआईए के प्रमुख डेविड पेट्रस महिला पत्रकार पावला ब्रॉडवेल से विवाहेत्तर संबंध रखने के कारण अपना पद गंवा बैठे. प्रेमालाप से भरे ईमेल ने पद छीना तो सवाल यह है कि क्या भारतीय ब्यूरोक्रेट्स के लिए इस घटना से कुछ सीखने की जरूरत है.
पेट्रस और पावला की अंतरंग बातें ईमेल से हुआ करती थीं जिसे एफबीआई वालों ने पकड़ लिया. हालांकि दोनों की बातें ईमेल एक्सचेंज से नहीं होती थीं. बल्कि पेट्रस और पावाला अपने मेल ड्राफ्ट करके छोड़ देते थे. और बिना मेल भेजे दोनों एक दूसरे के मेल पढ़ लेते थे.
मतलब साफ था, दोनों एक दूसरे के पासवर्ड भी जानते थे. वॉलस्ट्रीट जर्नल ने उस गोपनीय मेल की तरकीब को उजागर किया है.
सवाल यह है कि दुनिया की सबसे ताकतवर खुफिया एजेंसियों में से एक के मुखिया की भी मुखबिरी कर ली गई, हालांकि के पेट्रस और पावला ने हर संभव कोशिश की थी कि उनके मेल ट्रेस न होने पाये.
पेट्रस का अमेरिकी फौज और खुफिया एजेंसी में कितना बड़ा योगदान था इस बात का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि जब वह बराक ओबामा को इस्तीफा सौंपने पहुंचे तो ओबामा ने कहा, “हर दृष्टिकोण से वह मौजूदा पीढ़ी के एक महान जेनरल साबित हुए हैं जिन्होंने अपनी फौज को नई चुनौतियों से लड़ना सिखाया और जिन्होंने इराक और अफगानिस्तनान युद्ध में निर्णायक जीत दिला कर हमारे मरदों और हमारी औरतों में आत्मविश्वास जगाया”.
जाहिर है पेट्रस और पावल( जिन्होंने पेट्रस की जीवनी भी लिखी है) इतने नादान नहीं थे कि अपने रिश्ते को लेकर सचेत न होंगे. फिर भी इनके कुछ मेल ने इनके रिश्ते को न सिर्फ जगजाहिर कर दिया बल्कि पेट्रस का करियर ही खत्म कर दिया.
पर यहां आगे बढ़ने से पहले देखें कि कैसे पेट्रस और पावला के गोपनीय ईमेल सार्वजनिक हो गये. हमने ऊपर उल्लेख किया है कि पेट्रस और पावला एक दूसरे को ईमेल भेजते नहीं थे. वे एक अपना मेल ड्राफ्ट करते थे और एक दूसरे के लिए छोड़ दिया करते थे.वे ऐसा इस लिए करते थे कि उनका आईपी एड्रेस ट्रेस न होने पाये. पर एफबीआई वालों ने देखा कि उसी ईमेल से पेट्रस ने एक महिला को, जो फलोरिडा में रहती है, को ईमेल संदेश भेजे. पेट्रस ने यही भूल कर दी. उन्होंने जिस ईमेल आईडी का उपयोग सिर्फ मेल ड्राफ्ट करके अपनी प्रेमिका को पढ़ने के लिए छोड़ते थे, उसी से दूसरे को मेल( शायद यह आफिसियल ईमेल था) करते थे.
ऐसे में उनका आईपी एड्रेस पकड़ा गया. और फिर हंगामा हो गया और हालत यहाँ तक आ गयी कि उनको इस्तीफ़ा देना पड़ा .
भारत में यूँ तो ईमेल के उपयोग का चलन पिछले कुछ सालों में काफी बढ़ा है और सरकारी स्तर पर भी इसका उपयोग आधिकारिक तौर पर खूब होने लगा है.लेकिन ऐसे ईमेल के उपयोग निजी काम के लिए भी किये जाते हैं.सब जानते हैं कि कई बार हैकरों ने सरकारी वेबसाईट और यहाँ तक की ईमेल को भी हैक करने की कोशिश की है.