नियन्त्रक एवं महालेखापरीक्षक (सीएजी) विनोद राय के रिटायरमेंट से ठीक पहले एक रिपोर्ट में सरकार को कठघरे में खड़ा किया गया है.
जोजी थॉमस फिलिप, इकोनॉमिक टाइम्स
नैशनल ऑडिटर ने आरोप लगाया है कि हाल में हुई स्पेक्ट्रम नीलामी में टेलिकॉम कंपनियों ने कार्टेल (गुट) की तरह काम किया. उसने इसमें सरकार पर जाने-अनजाने मोबाइल कंपनियों की मदद का इल्जाम भी लगाया है.
नैशनल ऑडिटर ने कहा है कि सरकार ने इन कंपनियों के खिलाफ ऐक्शन नहीं लेकर उनकी मदद की. कैग ने दूसरी बार स्पेक्ट्रम पॉलिसी को लेकर सवाल खड़े किए हैं. पहली बार उसने 2010 में ऐसा किया था. तब कैग ने कहा था कि यूपीए सरकार और तत्कालीन टेलिकॉम मिनिस्टर ए राजा की गलत पॉलिसी से देश को 1,77,000 करोड़ रुपये का लॉस हुआ. कैग ने कहा था कि स्पेक्ट्रम को कम कीमत पर बेचने से यह लॉस हुआ था.
कैग ने इस साल 9 अप्रैल को टेलिकॉम डिपार्टमेंट को भेजे लेटर में लिखा है कि हाल में हुई दो नीलामी में मोबाइल कंपनियों ने गुट की तरह काम किया. उसने यह भी कहा है कि इन स्पेक्ट्रम नीलामी के फेल होने से सरकार को रेवेन्यू लॉस हुआ है.कैग के इस आरोप से यूपीए सरकार के लिए एक और मुसीबत खड़ी हो सकती है. इससे पहले से ही मुश्किलों का सामना कर रही टेलिकॉम इंडस्ट्री की परेशानी भी बढ़ेगी. हाल की दोनों नीलामी में बड़ी मोबाइल कंपनियां शामिल नहीं हुई थीं.इससे इस तरह की अटकलों ने जोर पकड़ा था कि उन्होंने मिलकर नीलामी में शामिल नहीं होने का फैसला किया है.
हालांकि, पहली बार किसी ऑफिशल बॉडी ने उन पर इस तरह के आरोप लगाए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल ए.राजा की ओर से 2008 में दिए गए सभी लाइसेंस कैंसल कर दिए थे. उसने सरकार को ऑक्शन के जरिए नए लाइसेंस देने का आदेश दिया था.
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