बिहार विधान सभा चुनाव में भाजपा अभी सहयोगियों के साथ सीट शेयरिंग की समस्या झेल रही है। हालांकि यह विवाद समाप्त होने की ओर है। लेकिन ‘मुख्यमंत्री उम्मीदवार’ पर मीडिया ट्रायल में भाजपा को अभी कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
वीरेद्र यादव, बिहार ब्यूरो प्रमुख
(इस आलेख को भी पढ़े-
https://naukarshahi.com/archives/24166
180 से अधिक सीटों पर लड़ेगी भाजपा ! )
राजद-जदयू और कांग्रेस गठबंधन द्वारा नीतीश कुमार को नेता घोषित किये जाने के बाद भाजपा पर भी नेता घोषित करने का दबाव बढ़ने लगा है। लालू यादव व नीतीश कुमार भी इस मुद्दे को लेकर भाजपा पर हमलावर हो गए हैं। लालू ने भाजपा को ‘निरबंस’ भी कहा। हालांकि भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी बचाव में कहते रहे हैं कि भाजपा राष्ट्रीय स्वरूप वाली पार्टी है। पार्टी के शीर्ष नेताओं की राष्ट्रीय छवि है। पीएम नरेंद्र मोदी पार्टी के सर्वोच्च नेता हैं और उनके ही नाम पर पार्टी चुनाव लड़ रही है। साथ ही, वे कहते हैं कि पार्टी में सीएम बनने के लायक कई नेता हैं।
केंद्रीय नेतृत्व भी दबाव में
लेकिन मीडिया ट्रायल भाजपा का पीछा नहीं छोड़ रहा है। चुनाव की घोषणा के बाद सभी चैनलों पर बिहार आधारित कार्यक्रम प्रसारित किए जा रहे हैं। प्रिंट व वेब मीडिया पर भी बहस जारी है। इसमें सीएम नीतीश कुमार के साथ पीएम नरेंद्र मोदी की तस्वीर दिखायी जा रही है। यही भाजपा के लिए परेशानी का सबब बन गया है। हर बहस में ‘नेता’ बड़ा मुद्दा बन जाता है। इसमें भाजपा पिछड़ती दिखती है। मीडिया वाले भी इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाते हैं। पीएम नरेंद्र मोदी के प्रति भाजपा नेताओं की आस्था हो सकती है। उनके प्रति विश्वास भी हो सकता है। लेकिन इस सवाल का जवाब भाजपा के किसी नेता के पास नहीं है कि ‘आपके पास बिहार का चेहरा कौन है।’ भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्व भी इस मुद्दे पर दबाव में है, लेकिन अभी कोई निर्णय लेता नहीं दिख रहा है। यही वजह है कि इस मुद्दे को लेकर भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व भी साफ-साफ बोलने से बच रहा है।