जनता दरबार के बाद मुख्यमंत्री का ‘मीडिया दरबार’ का खास आकर्षण होता है। पत्रकारों की उपस्थिति, कैमरों का आलम और सवालों का बौछार। साथ में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मंद-मंद मुस्कान। आज लगभग पूरा कैबिनेट ही मीडिया दरबार में हाजिर था।
वीरेंद्र यादव
करीब डेढ़ बजे पत्रकार वार्ता शुरू हुई। कभी-कभी सवाल ही उबाऊ हो जाते हैं। आज भी कुछ वैसा ही था। चुनाव आयोग द्वारा चुनाव कराने की औपचारिक घोषणा से जुड़े सवाल। विलय को लेकर द्वंद्व और संभावना की आस। फिर भाजपा की खुशफहमी से जुड़े सवाल। न सवाल में नयापन और न जवाब में ताजगी। सब कुछ औपचारिक ही लग रहा था। सीएम ने कहा भी कि हमारे पास दो बजे तक समय है। आप भले जल्दबाजी में हों, हमें कोई जल्दी नहीं है। फिर थोड़ी देर बाद पीसी चला। लेकिन दो बजते ही पत्रकारों ने कहा कि दो बज गये। इसके पास प्रेस वार्ता का दौर खत्म हो गया।
प्रेस वार्ता के दौरान सीएम ने विलय या गठबंधन की तकनीकी पेंचों को समझाया और कहा कि हमारे समझ से कोई पेंच नहीं है। यदि कोई पेंच है भी तो उसके लिए मुलायम सिंह जी को सभी दलों के नेताओं बैठक बुलानी चाहिए। हालांकि सीएम ने गठबंधन या विलय को लेकर समय की आड़ में सवाल को टाल दिया। उधर जनता दरबार में खबरों का अकाल ही दिखा। वहां भी ढंग की खबर नहीं बन रही थी कि अचानक एक कलाकार दरबार में पहुंच गया और अपने गांव की सड़क बनवाने की मांग की। थोड़ी वह कलाकार भी आकर्षण का केंद्र बना रहा। इसके एक-दो फरियादियों की सुनने के बाद सीएम दरबार से उठ गए।