नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री बनते ही जो दो महत्वपूर्ण सवाल उनके सामने है क्या उन सवालों का समाधान जल्द से ज्लद करेंगे? क्योंकि इन दो सवालों पर राज्य की बड़ी आबादी ने उन्हें अपना भरपूर समर्थन दिया था.
इर्शादुल हक, एडिटर नौकरशाही डॉट इन
बिहार में पांच चरणों में चुनाव हुए थे. इन तमाम चरणों के चुनाव में जो एक खास बात देखी गयी वह थी महिलाओं की वोटिंग में जम कर भागीदारी. महिलाओं की भागीदारी का आलम यह था कि उन्होंने तमाम चरणोॆ में पुरुषों से औसतन 4-6 प्रतिशत ज्यादा वोटिंग की. विश्लेषकों का मानना है कि नीतीश की शानदार जीत के पीछे महिलाओं का हाथ है.
आखिर महिलाओं ने उन्हें इतना भरपूर समर्थन जिन दो कारणों से दिया था उनमें से एक है राज्य सरकार की नौकरियों में महिलाओं के लिए 35 प्रतिशत का आरक्षण. जबकि दूसरी सबसे महत्व वजह थी राज्य में पूर्ण शराब बंदी.
पहला सवाल
शराबबंदी की चुनौती इस लिए गंभीर है कि राज्य सरकार की आमदनी का अकेला सबसे बड़ा जरिया शराब विक्री पर लगने वाला कर है. राज्य को मिलने वाले राजस्व में शराब से पिछले वर्ष 3300 करोड़ की प्राप्ति हुई थी. यह कुल राजस्व का 13 प्रतिशत के करीब है.
तो क्या नीतीश कुमार राज्य में विकास की कीमत पर शराबबंदी के अपने वादे को इतनी आसानी से पूरा करेंगे? याद दिलाने की बात है कि चुनाव से ऐन पहले महिलाओं के सम्मेलन में यह सवाल उठा कि सरकार शराब बंदी लागू करे. नीतीश कुमार ने तब तपाक से कहा था कि अगली बार सरकार बनेगी तो वह जरूर शराब बंदी लागू करेंगे. अब देखना है कि नीतीश अपने इस वादे को कैसे और कब पूरा करते हैं.
दूसरा सवाल
दूसरा महत्वपूर्ण सवाल है महिलाओं के आरक्षण का. महिला आरक्षण के मामले में नीतीश कुमार का रिकार्ड काफी सराहणीय रहा है. उन्हनों अपने पिछले कार्यकाल में स्थानीय निकाओं में महिलाओं के लिए पचास प्रतिशत आरक्षण देकर आधी आबादी को ऐतिहासिक रूप से सशक्तीकरण के मार्ग पर लाने की कोशिश की थी. उसी का नतीजा था कि 2010 में उन्हें महिलाओं ने ऐसी जीत दिलायी कि वह खुद ऐसी जीत की उम्मीद नहीं कर रहे थे.
इस बार उन्हीं महिलाओं ने नीतीश कुमार के इस वादे पर वोट दिया है कि वह महिला आरक्षण लागू करेंगे. महिला आऱक्षण लागू करने काफी पेचीदा काम है. लेकिन यह याद रखने की बात है कि यह नीतीश का सात निश्चय का हिस्सा है.
अब देखान है कि नीतीश अपने इस निश्चय को कब, कैसे और किस रूप में पूरा करते हैं.