मुख्‍यमंत्री जीतनराम मांझी की ‘सत्‍ता का चाबुक’ की चोट बेअसर होती जा रही है। वह अधिकारियों को कार्य शैली में सुधार का निर्देश देते हैं और अधिकारी हैं कि अपने रवैये से बाज नहीं आ रहे हैं। प्रशासनिक व्‍यवस्‍था पर अपनी पकड़ मजबूत बनाने के लिए उन्‍होंने समीक्षा बैठक का कार्यक्रम बनाया है। पिछले 29 अगस्‍त के प्रमंडलीय और जिला स्‍तरीय अधिकारियों की एक बैठक पटना में बुलायी थी। इसमें आइएएस और आइपीएस अधिकारियों ने हिस्‍सा लिया था। इसमें उन्‍होंने सक्षम, पारदर्शी और कार्यशील नौकरशाही के गुर बताए, लेकिन परिणाम ढाक के तीन पात।

 वीरेंद्र यादव cm yatra

 

उसके बाद से मुख्‍यमंत्री लगातार समीक्षा बैठक कर रहे हैं। वह नीतीश कुमार की शैली में कोई यात्रा नहीं कर रहे हैं, लेकिन राजधानी से बाहर प्रमंडलीय स्‍तर पर समीक्षा कर रहे हैं। उनके साथ प्रशासनिक अधिकारियों का पूरा काफिला चलता है। इस दौरान वह समीक्षा के नाम पर अधिकारियों को हड़का रहे हैं, चेतावनी दे रहे हैं। उनकी इस शैली को लोग अब ‘हड़काव यात्रा’ भी कहने लगे हैं। वह सहरसा में कोसी प्रमंडल, बेतिया में तिरहूत प्रमंडल, पूर्णिया में पूर्णिया प्रमंडल और भागलुपर में भागलपुर के प्रमंडल स्‍तरीय समीक्षा बैठक कर चुके हैं। मुख्‍यमंत्री हर समीक्षा में इस बात पर जोर देते हैं कि अधिकारी जनप्रतिनिधियों का सम्‍मान करें। विकास कार्यों में तेजी लाएं। इसके साथ ही प्रशासनिक अधिकारियों को भी लताड़ लगाने से नहीं चुकते हैं।

 

अपने कार्यक्रमों के दौरान वह नीतीश कुमार के विकास के दावे को ही नकारा बताते फिर रहे हैं। स्‍वास्‍थ्‍य, शिक्षा, सड़क, जलापूर्ति, इंदिरा आवास समेत सभी विभागों की उपलब्धियों पर नाराजगी जताते हैं। नीतीश कुमार का सबसे बड़ा दावा सड़कों को लेकर रहा था। मांझी का सबसे बड़ा प्रहार सड़कों पर ही होता है। वह ओवर लोडिंग को बदहाली का जिम्‍मेवार बताते हैं। अब तक की समीक्षा बैठक में बाद मांझी ने कभी संतोष नहीं जताया। हर बार नाराजगी ही जतायी और अधिकारियों व कर्मियों को सुधरने की नसीहत दी। इसकी अभिव्‍यक्ति उन्‍होंने सार्वजनिक मंच पर भी किया।

 

29 अगस्‍त को पटना में आयोजित डीएम-एसपी बैठक में उन्‍होंने कई निर्देश दिए थे। उनकी भाषा में निर्देश के बजाए आग्रह का बोध होता है। इसका असर भी उसी रूप में होता है। इसलिए जरूरी है कि मुख्‍यमंत्री को अपनी भाषा और तेवर में बदलाव लाना होगा। कार्यशैली को आक्रमक बनाना होगा, तभी कोई सार्थक परिणाम की उम्‍मीद की जा सकती है।

By Editor


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