स्वतंत्रता दिवस पर पटना के गांधी मैदान में मुख्यमंत्री का भाषण सरकार की विकास योजनाओं का आइना होता है। इसमें सरकार द्वारा संचालित योजनाएं और घोषणाओं की रुपरेखा व कार्ययोजना भी होती है। मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी इस बार गांधी मैदान से राज्य की जनता को संबोधित करेंगे। उनके संबोधन में महादलितों के विकास के लिए किये जा रहे कार्य, विशेष राज्य के दर्जें के लिए प्रधानमंत्री से आग्रह और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के प्रयास को प्रमुखता मिली है।
वीरेंद्र यादव, बिहार ब्यूरो प्रमुख
मुख्यमंत्री के करीबी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, करीब 15 दिनों की मेहनत के बाद मुख्यमंत्री के भाषण को अंतिम रूप दिया गया है। इसमें चार आइएएस और दर्जन भर मुख्यमंत्री सचिवालय के अधिकारियों को कई स्तरों पर प्रयास करना पड़ा। हालांकि भाषण को अंतिम रूप देने में मुख्यमंत्री के ओएसडी अमृतलाल मीणा की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव दीपक कुमार ने कुछ संशोधन अपनी ओर से जोड़े हैं। मुख्यमंत्री के भाषण को अंतिम रूप देने के बाद उसे पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पास भेजा गया। नीतीश कुमार ने नाम मात्र के संशोधन के साथ भाषण पर अपनी सहमति दे दी। इस संशोधन के बाद भाषण को अंतिम रूप दे दिया गया। हालांकि बीच-बीच में संबोधन के मुद्दों पर मुख्यमंत्री की सहमति भी ली जा रही थी।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, सीएम के आवासीय कार्यालय से विकासात्मक तथ्य पहले सीएम सचिवालय पहुंचा। इसे भाषण के रूप में व्यवस्थित किया गया। वहां विषयों की प्राथमिकता भी तय हुई। इसके बाद उसे वापस मुख्यमंत्री के आवासीय कार्यालय को लौटा दिया गया। आवासीय कार्यालय में अमृतलाल मीणा की देखरेख में उसमें संशोधन का सिलसिला चलता रहा और अधिकारियों के सुझाव भी आते रहे। पिछले चार वर्षों से सीएम के सचिव के रूप में कार्य कर रहे अतिश चंद्रा का इस संबंध में काफी लंबा अनुभव था। उसका भी उपयोग किया गया। हालांकि मुख्यमंत्री बदलने के बाद भाषण की भाषा, तेवर व प्रस्तुति में काफी बदलाव आया है। नीतीश राज में भ्रष्टाचार पर सर्वाधिक बल दिया जाता था, जबकि मांझी के भाषण में महादलित विकास की योजनाओं और समाज के अंतिम व्यक्ति के विकास पर अधिक जोर दिया गया है। शिक्षा में बेहतरी और उद्योग कैबिनेट की चर्चा है।
मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने भाषण का पूर्वाभ्यास भी किया। उन्होंने प्रदेश के नाम अपने पहले संबोधन के लिए खास तैयारी की है। यह उनके जीवन का अप्रतिम क्षण होगा, जब प्रदेश के साढ़े 10 करोड़ लोगों की आकांक्षाओं और अपेक्षाओं का दस्तावेज जनता के सामने सार्वजनिक करेंगे। उनका पूरा फोकस इस बात रहेगा कि भाषण का एक-एक शब्द जनता के सपने को यथार्थ में तब्दील करता हो। और जीतन राम मांझी का पूरा महकमा इस काम में जुटा रहा।