मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह के विकल्प की तलाश शुरू हो गयी है। फिलहाल नाम पर सहमति नहीं बनी है। लेकिन माना जा रहा है कि उपयुक्त व्यक्ति मिलने के बाद उन्हें दूसरी जगह भेजा जा सकता है। मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी प्रशासनिक महकमे में अपने पसंद की व्यक्ति को लाना चाहते हैं, जो उनकी ‘मिशन महादलित’ का वैचारिक आधार व प्रशासनिक पृष्ठभूमि तैयार कर सके। सीएम आइएएस और बिहार प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों की जातीय कुंडली भी तैयार करवा रहे हैं, ताकि नियुक्ति के मामले में सामाजिक समीकरणों का ख्याल रखा जा सके।
बिहार ब्यूरो
सूत्रों की माने तो मुख्यमंत्री प्रशासनिक तंत्र को दलितोन्मुखी बनाने चाहते हैं, जिसमें सभी महत्वपूर्ण पदों पर दलित व महादलितों को बैठाने चाहते हैं। सीएम हाउस के कार्यालय में पदस्थ चार आइएएस अधिकारियों में एक सवर्ण, दो अनुसूचित जाति के और एक पिछड़ी जाति के हैं। मुख्यमंत्री चाहते हैं कि उनके अपने कार्यालय में पदस्थ अधिकारी में सवर्ण नहीं हों। हालांकि इसको लेकर कोई आग्रह भी नहीं है।
लेकिन सबसे बड़ी बात है कि अंजनी कुमार सिंह के विकल्प की तलाश कैसे पूरी होगी। बताया जा रहा है कि नीतीश कुमार ने अंजनी सिंह को संकेत दे दिया है कि सत्ता की डोर उनके हाथ से फिसलती जा रही है। प्रशासनिक मामलों ने नीतीश की अनदेखी सीएम ने शुरू कर दी है। सीएम मांझी का मानना है कि जदयू में उनके खिलाफ उठने वाला स्वर नीतीश के इशारे पर तीखा हो रहा है। इसका सीधा असर अब प्रशासनिक नियुक्ति व जिम्मेवारियों पर पड़ने लगा है। माना यह भी जा रहा है कि अंजनी सिंह नीतीश कुमार की पंसद थे और अब मांझी उन्हें पचा नहीं पा रहे हैं। हालांकि अंतिम फैसले के लिए अभी इंतजार करना पड़ेगा।