सीबाई और ईडी की घेराबंदी से भले लालू मुश्किलों में हों पर छापेमारी के बाद उनके पक्ष में ऐसी जबर्द्सत गोलबंदी दिखने लगी है कि खेत-खलिहान के आम अवाम से ले कर सोनिया, अखिलेश व ममता जैसी शीर्ष नेता राजद की रैली को कामयाब करने की कसमें खाने लगे है.

 

इर्शादुल हक, एडिटर नौकरशाही डॉट कॉम

 

जिन सोनिया गांधी के भाजपा भगाओ देश बचाओ रैली में आने पर संशय था, उनने खुद ही लालू प्रसाद को फोन करके उपस्थित रहने की इछ्छा जताई है. वहीं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी लालू को फोन किया और अपना समर्थन उन्हें देने का वादा कर डाला. उधर कानून व्यवस्था के मामले पर केंद्र सरकार पर सौतेला रवैया का आरोप लगाने वाली पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने भी लालू को फोन किया और वादा किया कि वह उनकी रैली में रहेंगी.

7 जुलाई को राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद के आवास पर सीबीआई ने छापामारी की. इस दौरान बिन बुलाये उनके आवास के बाहर जुटे हजारों समर्थकों में केंद्र की भाजपा सरकार के खिलाफ गजब का रोष था. वे लालू के समर्थन में नारे लगा रहे थे. यह भीड़ सुबह से रात तक तब तक डटी रही जब तक लालू ने खुद उन्हें अपने घरों को जाने को न कह दिया. उधर सोशल मीडिया पर लालू के समर्थकों का गुस्सा, नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ सातवें आसमान पर है. लालू अपने समर्थकों को यह समझाने में कामयाब रहे हैं कि केंद्र की सरकार पिछड़ों, दलितों और अल्पसंख्यकों( जिसे राजद बहसंख्यक वर्ग लिख रहा है) की आवाज को दबाने के लिए उनके परिवार को मिट्टी में मिलाना चाहती है. इस बीच राजद ने सोशल मीडिया पर जोरदार अभियान भी चलाया है. राजद ने तीन पोस्टर जारी किये हैं जिसमें बताया गया है कि पिछड़ों व दलितों के आरक्षण को समाप्त करने की साजिश करने वालों के खिलाफ आवाज उठाई गयी तो सामंती व तानाशाह मोदी सरकार ने सीबीआई से रेड करा दी. एक पोस्टर में गिनाया गया है कि मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार के व्यापम घोटाले में केस होने के बावजूद सीबीआई रेड नहीं करती जबकि खुद से संज्ञान ले कर उसने लालू-राबड़ी के घर पर रेड कर दिया. इस कम्पेन का जोरदार असर लालू समर्थकों पर पड़ा है. फेसबुक पर एक राजद सर्थक ने लिखा कि अगर लालू प्रसाद को जेल में डाला गया तो उनके जूते को सामने रख कर बिहार की जनता रैली को कामयाब करेगी.

भाजपा सरकार के खिलाफ देश भर में सबसे मुखर आवाज का प्रतीक बन चुके लालू के प्रति पिछड़ों, अल्पसंख्यकों और दलितों में बढ़ती गोलबंदी का कितना राजनीतिक लाभ लालू को मिल रहा है इसकी बानगी गली, चौराहों और खेत-खलिहानों की रोजाना की बहसों से दिखने लगा है. इसी तरह सोशल मीडिया पर लालू के समर्थक उग्र रूप से सक्रिय हो कर उनके पक्ष में अभियान चलाने में जुटे दिख रहे हैं. ऐसे में न्यूज चैनलों और सर्वे एजेंसियों को भी इसका एहसास हो चुका है. पर सवाल यह है कि हर मुद्दे पर सर्वे करने वाली ये एजेंसियां क्या  सीबीआई छापे के राजनीतिक माहौल पर कोई सर्वे करेंगी? ऐसी शायद ही कोई पहल सर्वे एजेंसियां करेंगी.

By Editor


Notice: ob_end_flush(): Failed to send buffer of zlib output compression (0) in /home/naukarshahi/public_html/wp-includes/functions.php on line 5427