उच्चतम न्यायालय ने कोयला घोटाले के आरोपियों को बचाने के लिए पद का कथित दुरुपयोग करने के मामले में केन्द्रीय जांच ब्यूरो के पूर्व निदेशक रंजीत सिन्हा के खिलाफ सीबीआई जांच का आदेश देते हुए इसके लिए एक विशेष जांच दल गठन करने को कहा है। न्यायमूर्ति एम बी लोकुर की अध्यक्षता वाली विशेष पीठ ने आज दिए अपने आदेश में सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा से कहा कि वह दो अन्य अधिकारियों के साथ मिलकर इसके लिए एक विशेष जांच दल गठित करें और यह बताएं कि जाचं कब तक पूरी हो सकेगी।
पीठ ने घोटाले के आरोपियों के साथ श्री सिन्हा की कथित संलिप्तता का पता लगाने के लिए न्यायालय की ओर से गठित एक विशेष पैनल की रिपोर्ट के आधार पर यह आदेश दिया। पीठ ने कहा कि पैनल ने जो रिपोर्ट दी है, उसके आधार पर श्री सिन्हा के खिलाफ प्रथम दृश्ट्या मामला बनता है। पीठ ने यह भी कहा कि इस जांच के लिए अलग से एसआई के गठन की आवश्यकता नहीं है। सीबीआई के निदेशक की अध्यक्षता में एसआई जांच पर्याप्त होगी।
अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने न्यायालय के समक्ष पेश दलील में कहा कि पैनल की रिपोर्ट के मुताबिक श्री सिन्हा के आवास की विजिटर डायरी में मौजूद एंट्री सही लग रही है। पैनल का मानना है कि इससे यह जाहिर होता है कि श्री सिन्हा कोयला घोटाल के कुछ आरोपियों से मिले थे।
कोयला घोटाले के आरोपियों के साथ श्री सिन्हा की कथित संलिप्तता के खिलाफ न्यायालय में याचिका जाने माने वकील प्रशांत भूषण की गैर सरकारी संस्था कॉमन कॉज ने दायर की है। श्री भूषण ने आरोप लगाया है कि सीबीआई के निदेश के पद पर रहते हुए श्री सिन्हा ने अपने आवास पर घोटाले के आरोपियों से मुलाकात की थी, जबकि घोटाले की जांच जारी थी।