बम्बई लॉयर्स एसोसिएशन ने उच्चतम न्यायालय में आज एक पुनरीक्षण याचिका दायर करके केंद्रीय जांच ब्यूरो के विशेष न्यायाधीश बी एच लोया के मौत मामले में अपने आदेश की समीक्षा करने का अनुरोध किया है। शीर्ष अदालत ने जज लोया की मौत की स्वतंत्र जांच कराने संबंधी पांच याचिकाओं को गत 19 अप्रैल को निरस्त कर दिया था। इन याचिकाकर्ताओं में बम्बई लॉयर्स एसोसिएशन भी शामिल था।
मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने गत 19 अप्रैल को यह कहते हुए याचिकाएं खारिज कर दी थी कि लोया मौत मामले की स्वतंत्र जांच की मांग करने वाली इन याचिकाओं में कोई ‘मेरिट’ नहीं है। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि बी एच लोया की मौत के मामले में संदेह का कोई आधार नजर नहीं आता। इसलिए मामले की स्वतंत्र जांच के आदेश का कोई आधार नहीं दिखता।
शीर्ष अदालत ने कहा था कि सीबीआई जज बीएच लोया की मौत से जुड़े घटनाक्रमों के बारे में चार न्यायिक अधिकारियों- सर्वश्री श्रीकांत कुलकर्णी, श्रीराम मोदक, आर राठी और विजय कुमार बर्डे तथा बॉम्बे उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों- न्यायमूर्ति भूषण गवई एवं न्यायमूर्ति सुनील शुक्रे के बयान पर अविश्वास करने का कोई कारण नजर नहीं आता। न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं में से एक बम्बई लॉयर्स एसोसिएशन की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे की कुछ दलीलों पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा था कि श्री दवे ने मामले से जुड़े न्यायाधीशों के खिलाफ आक्षेप लगाने से भी परहेज नहीं किया।