सीवान की पहचान कभी डॉ राजेंद्र प्रसाद के नाम से थी। आज सीवान की पहचान बाहुबली पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन से होने लगी है। वे चार बार लालू यादव की पार्टी राजद के टिकट पर लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए और 1996 से 2009 तक सीवान के सांसद रहे। उनकी जीत के पीछे राजद कार्यकर्ताओं की भूमिका कम और राजद विरोधी भाजपा के समर्थकों की भूमिका ज्यादा रही थी। 2000 के दशक में सीवान में माले का व्यापक प्रभाव था और सामंतों के खिलाफ आंदोलन भी चरम पर था।
वीरेंद्र यादव के साथ लोकसभा का रणक्षेत्र – 2
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सांसद — ओमप्रकाश यादव — भाजपा — यादव
विधान सभा क्षेत्र — विधायक — पार्टी — जाति
सीवान — व्यासदेव प्रसाद — भाजपा — कुशवाहा
जीरादेई — रमेश सिंह — जदयू — कुशवाहा
दरौली — सत्यदेव राम — माले — रविदास
रघुनाथपुर — हरिशंकर यादव — राजद — यादव
दरौंदा — कविता सिंह — जदयू — राजपूत
बडहरिया — श्याम बहादुर सिंह — जदयू — कुर्मी
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2014 में वोट का गणित
ओम प्रकाश यादव — भाजपा — 372670 (43 फीसदी)
हीना शहाब — राजद — मुसलमान — 258823 (30 फीसदी)
मनोज सिंह — जदयू — राजपूत — 79239 (9 फीसदी)
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इस आंदोलन को रोकने के लिए सवर्णों ने ढाल के रूप में शहाबुद्दीन का इस्तेमाल किया। लेकिन माले के कमजोर पड़ते ही सवर्ण नये विकल्प की तलाश करने लगे। इसी विकल्प के तलाश के रूप में पहली बार निर्दलीय उम्मीदवार ओम प्रकाश यादव को लालू यादव विरोधी वोटों का समर्थन मिला और परिसीमन के बाद हुए चुनाव में ओमप्रकाश यादव पहली बार लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए। उनको सवर्णों का भी समर्थन प्राप्त था। इसलिए 2014 के चुनाव में ओम प्रकाश यादव ने भाजपा का दामन थामा और दूसरी बार लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए।
तीसरी बार उनकी उम्मीदवारी पर संशय के बादल मंडराने लगे हैं। सीवान में उन्हें सवर्णों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है। इधर जदयू के साथ गठबंधन के बाद भाजपा के कई सांसदों को बेटिकट करने की चर्चा भी है। माना जा रहा है कि भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय इस बार सीवान से किस्मत आजमाना चाहते हैं। सीवान लोकसभा क्षेत्र में 6 विधान सभा क्षेत्र आते हैं। इस सीट से दो कुशवाहा, राजपूत, यादव, कुर्मी और रविदास एक-एक विधायक हैं।
सामाजिक बनावट
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सीवान लोकसभा क्षेत्र का सामाजिक बनावट अन्य क्षेत्रों की तुलना से थोड़ा अलग है। सीवान में सबसे ज्यादा वोट मुसलामनों का है। इसके बाद राजपूत व यादव का वोट लगभग बराबर बताया जाता है। ब्राह्मण और कुशवाहा की आबादी भी अच्छी खासी है। अब तक 15 लोकसभा चुनाव में यहां से 9 बार मुसलमान प्रत्याशी चुनाव जीतते रहे हैं। 1977 में जेपी लहर में डॉ राजेंद्र प्रसाद के पुत्र मनोरंजन प्रसाद वर्मा भी निर्वाचित हुए थे। 1989 में यहां से भाजपा के जर्नादन तिवारी निर्वाचित हुए थे। इसके बाद 2014 में ओम प्रकाश यादव भाजपा के टिकट पर निर्वाचित हुए। सीवान में यादव और मुसलमानों की बड़ी आबादी होने के कारण ही शहाबुद्दीन चार बार निर्वाचित हुए। लेकिन 2009 में यादव वोटों के ओम प्रकाश यादव के तरफ शिफ्ट होने के कारण शहाबुद्दीन को हार का सामना करना पड़ा। भाजपा ने उनके यादव आधार के कारण 2014 में टिकट दिया और वे निर्वाचित भी हुए।
कौन-कौन हैं दावेदार
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राजद में स्वाभाविक उम्मीदवार मो. शहाबुद्दीन की पत्नी हीना शहाब को माना जा रहा है। रघुनाथपुर से राजद के विधायक हरिशंकर यादव कहते हैं कि अगला चुनाव हीना शहाब आसानी जीत जाएंगी। पार्टी के अंदर कोई दूसरा उम्मीदवार भी नहीं है। इसके विपरीत भाजपा में कई उम्मीदवार बताये जा रहे हैं। इसमें प्रमुख उम्मीदवार स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय हैं। पिछली बार जदयू के उम्मीदवार रहे और अब भाजपा के नेता पूर्व विधान पार्षद मनोज सिंह भी अपनी दावेदारी जता रहे हैं। विधान पार्षद टुन्ना पांडेय अपने भाई के लिए लॉबिंग कर रहे हैं। ब्राह्मणों के साथ बैठक कर अपनी दावेदारी जता रहे हैं। भाजपा के पास अभी यह सीट है। पार्टी के सांसद भी हैं। यदि उनका टिकट कटा तभी नये उम्मीदवारों के लिए जगह बनती है, अन्यथा अगला चुनाव भी यादव व मुसलमानों के बीच ही होगा।