बिहार की जीतनराम मांझी सरकार ने आपसी समन्वय का अभाव खुलकर सामने आने लगा है। मुख्यमंत्री ने कहा था कि सुखाड़ पर अधिकारियों गलत जानकारी दी थी। उन्होंने विधान सभा में कहा था कि ऐसे अधिकारियों पर कारवाई होगी, जबकि कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह ने दावा किया है कि अफसरों ने कोई गलत रिपोर्ट नहीं दी।
अब सूखे पर मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह अलग-अलग सुर में बोले। अफसरों द्वारा सूखे की गलत जानकारी देने संबंधी मुख्यमंत्री के बयान को कृषि मंत्री ने खारिज कर दिया। नरेंद्र ने विधानसभा में कहा-अफसर गलत रिपोर्ट नहीं देते हैं। अधिकारी में दोष निकालना या उस पर आरोप लगाना आसान है। मैं दिल पर हाथ रखकर कह सकता हूं कि अफसरों ने कोई गलत रिपोर्ट नहीं दी है।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री ने 22 जुलाई को कहा था कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में अफसरों ने सूखे की जो रिपोर्ट दी थी, वह हकीकत से मेल नहीं खाती। मैंने दुल्हिनबाजार जाने के क्रम में इससे एकदम विपरीत हालात देखा। जिन अफसरों ने गलत जानकारी दी होगी, उनके खिलाफ कार्रवाई होगी।
कृषि मंत्री सूखे की स्थिति पर एक घंटे की विशेष चर्चा का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि राज्य में सूखे की स्थिति बनती जा रही है, लेकिन अभी सूखाग्रस्त घोषित करने जैसी नौबत नहीं आई है। सरकार हालात पर नजर रख रही है। अभी सामान्य से 20 प्रतिशत ही कम बारिश हुई है। सामान्य से 50 प्रतिशत कम वर्षा होने पर ही किसी प्रदेश को सूखाग्रस्त घोषित किया जाता है। हालात की जानकारी केंद्र को दे दी गई है। मुख्यमंत्री ने भी पत्र लिखा है। केंद्र हमें डीजल सब्सिडी और बीज वितरण में सहायता दे। किसानों की मदद के उपाय किए जा रहे हैं।
मंत्री ने कहा कि राज्य में वर्षा का रिकॉर्ड रखने के लिए हर प्रखंड में एक की बजाय अब चार वर्षामापक यंत्र लगाए जाएंगे। इससे प्रखंड में पूरब, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण दिशा में बारिश की ठीक-ठीक जानकारी ली जा सकेगी। वर्षा जल को संग्रहित करने के लिए आहर-पइन का जीर्णोद्धार कराया जा रहा है। कृषि मंत्री ने कहा कि किसानों को आवेदन देने के 15 दिनों में डीजल अनुदान का भुगतान हो जाएगा।