जर्मनी में भारत की राजदूत सुजाता सिंह अगली विदेश सचिव होंगी.हालांकि उनकी सीनियरिटी को नजरअंदाज करने की भी तमाम कोशिशें की गयीं पर वह विफल रही.
सुजाता, रंजन मथाई की जगह लेंगी. 1974 बैच के मथाई 31 जुलाई को रिटायर कर रहे हैं.
सुजाता, हालांकि इस पद की सशक्त दावेदारों में से थी पर बताया जाता है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की पसंद जयशंकर थे. लेकिन कांग्रेस पार्टी के दबाव के कारण, विदेश सेवा की सबसे वरिष्ठ अधिकारी सुजाता सिंह की नियुक्ति को ही हरी झंडी मिली है.
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सूत्रों का यहां तक कहना है कि सुजाता को नजरअंदाज करने का विरोध खुद विदेश मंत्रालय में भी हो रहा था. सुजाता 1976 बैच की भारतीय विदेश सेवा की अधिकारी हैं और वरिष्ठता क्रमांक में सबसे ऊपर भी हैं. जबकि एस जयशंकर उनसे एक साल जूनियर यानी 1977 बैच के अधिकारी हैं.
सीनियर अधिकारियों को नजरअंदाज कर के जूनियरों को आला पदों पर बिठाने की परम्परा भारत में काफी पुरानी है. 2006 में इसी तरह शिवशंकर मेनन को कई वरिष्ठ अधिकारियों की सीनियरिटी को धता बता कर विदेश सचिव बना दिया गया था. नतीजा यह हुआ का मंत्रालय के अंदर बगावत की स्थिति बन गयी थी. फिर भी सरकार ने यह काम करके ही दम लिया था. इस तरह के कदम उठाने से नौकरशाहों में असंतोष पनपना स्वाभाविक बात है. इसके बावजूद अनेक बार सरकारें इस तरह का कदम उठाती रहती हैं. शिवशंकर मेनन आज भी मौजूदा सरकार की आंखों का तारा बने हुए हैं. ऐसे दर्जनों उदाहरण हैं. शिशंकर फिलहाल राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हैं.
इस्तीफा की दी थी धमकी
लेकिन इस बार जब सुजाता सिंह की वरिष्ठता को नजरअंदाज करके एस जयशंकर को विदेश सचिव बनाने की बात सामने आई तो सुजाता ने इसे काफी गंभीरता से लिया. उन्होंने, समझा जाता है कि सरकार को धमकी भरा पत्र लिखा और कहा कि अगर उनकी सिनियरिटी को नजरअंदाज किया गया तो वह जर्मनी के राजदूत के पद से इस्तीफा दे देंगी.
सुजाता सिंह इंटेलिजेंस ब्यूरो( आईबी) के पूर्व निदेशक टीवी राजेश्वर की बेटी हैं. राजेश्वर की कांग्रेस से निकटता के किस्से काफी मशहूर रहे हैं. वह इंदिरागांधी और राजीव गांधी के दौर में आईबी के प्रमुख हुआ करते थे. मनमोहन सरकार ने उन्हें उत्तर प्रदेश का राजपाल बना दिया था.
सुजाता की पढ़ाई लिखाई लेडी श्री राम कॉलेज और दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से हुई है. उन्होंने 1976 में विदेश सेवा ज्वाइन किया था. 1954 में जन्मी सुजाता विदेश सचिव के तौर पर दो साल तक सेवा दे सकेंगी.