इर्शादुल हक, सम्पादक नौकरशाही डाॅट इन
आदरणीय नीतीशजी यह सुझाव पत्र आपको मैं छह महीने पहले ही लिखना चाह रहा था पर अब, जब आपने अपने अकेलेपन की पीड़ा खुद सार्वजनिक कर दी है तो कुछ सुझाव सुन ही लीजिये।
आपने पिछले दिनों पथनिर्माण विभाग के कार्यक्रम में स्वीकार कर लिया कि आपके पास बोलने वाले नेताओं का नितांत अभाव है जबकि भाजपा वाले दिनरात बोलते रहते हैं। निश्चित तौर पर आपका इशारा उस ओर है कि आपकी पार्टी में मंझे हुये प्रवक्ताओं की कमी है।
आपने देर से ही सही पर उचित विषय को छेड़ा है। इसलिये इस विषय की बारीकियों, आपके समगठन की कमजोरियों और सोशल मीडिया के इस युग में संगठन की सच्चाइयों को आपके रू ब रू लाना जरूरी है।
अकेलेपन की वजह
यूं तो ऊंचाइयों पर बैठा व्यक्ति अकसर अकेला ही होता है पर एक जन नोता की खासियत यह होती है कि उस तक आम जन की आवाज सीधी पहुंच सके। पर आपके संगठन की विडंबना यह है कि कुछ गिने चुने लोगों नो आप से नये और योग्य लोगों को ऐसे दूर कर रखा है कि
आप तक पहुंचने ही नहीं दिया जाता। नतीजा यह है कि आपको उन नोताओं-प्रवक्ताओं पर ही भरोसा करना पड़ता है जो दशकों पुराने विचार और सोच के संजाल में उलझे हैं। जो राजनीतिक रूप से दक्ष तो नहीं ही हैं और न ही न्यु मीडिया की तकनीक से वाकिफ हैं।
इस आधुनिक और सोशल मीडिया के दौर में आपके जितने भी प्रवक्ता हैं वे आज भी कलम से लिखने वाले और अखबारों की कतरनों से रिसर्च कर बयान जारी करने वाले नेता हैं। जबकि कम्प्युटर और एंड्रवायड मोबाइल के इस दौर में, की
-बोर्ड पर उंगलियां थिरकने और वेब पर रिसर्च कर त्वरित टिप्पणियां करने वाले, माॅडर्न प्रवक्ताओं की टीम आपको चाहिये। पिछले दो साल में आम आदमी पार्टी के प्रयोग ने सोशल मीडिया और नयी तकनीक के महत्व को साबित कर दिया है।
यह सच है कि आपकी पार्टी ने पिछले दिनों आपके आवास पर एक प्रशिक्षण शिविर का आयोजन भी किया पर इसमें जो प्रशिक्षक शामिल किये गये उन में कुछेक को छोड़ कर सब दादा आदम के जमाने के विचारों की परिधि में घिरे हुये नेता थे।
न्यु मीडिया के इस दौर में राजनीतिक रूप से प्रशिक्षित प्रवक्ताओं की जितनी जरूरत है, उतनी ही जरूरत न्यु मीडिया की दक्षता से परिपूर्ण और आकर्षक व्यक्तित्व के युवा नेताओ की जरूरत है जो टीवी स्क्रीन पर दमदार लहजे में संगठन के विचारों को रख सके। निश्चित तौर पर आपके संगठन की हालत ठीक वैसी ही जैसे हिंदी भाषी राज्यों की दीगर क्षेत्रीय पार्टियों की है, जहां पार्टियां व्यक्तिकेंद्रित होती हैं, संगठन केंद्रित नहीं, ऐसे में खदसा इस बात का होता है कि व्यक्ति आधारित नेतृत्व का आकर्षण घटते ही संगठन भी समाप्ति के कगार पर पहुंच जाये।
नीतीशजी संगठन व्यावहारिक ढ़ांचे पर बढ़ते और फलते फूलते हैं इसके लिये कैडरों के नियमित प्रशिक्षण की जरूरत होती है।और इस दिशा में आपने तब काम किया जब आपने छह महीने के लिये जीतन राम मांझी को सत्ता सौंपी और आप खुद संगठन के विकास में लग गये। इन छह महीनों में यकीनन आप ने संगठन को मजबूत किया।लेकिन जहां तक पार्टी में प्रशिक्षित प्रवक्ताओं की बात है तो इस दिशा में आप को उदारता से काम करते हुए नयी पीढ़ी के न्यु मीडिया प्रशिक्षित युवाओं को सामने लाने की जरूरत है। लेकिन कड़वी सच्चाई यह भी है कि आपके संगठन में पहले से जमे नेताओं को, नये योग्य और ऊर्जावान नेताओं से उनके सिंहासन को खतरा होने लगता है। यही कारण है कि पिछले महीनों में आपके संगठन के एक प्रवक्ता को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। ये प्रवक्ता न सिर्फ राजनीतिक चेतना से परिपूर्ण बल्कि न्यु मीडिया की तकनीक में दक्ष और टीवी स्क्रीन पर प्रभावशाली तरीके सो बात रखने में भी काबिल थे।
रिसर्च टीम और सोशल मीडिया
सोशल मीडिया के असीमित विस्तार ने जिस तरह से युवाओं को प्रभावित किया है इसका लाभ भाजपा और आम आम आदमी पार्टी ने बखूबी उठाया है। नीतीश जी आप ने भी एक हद तक निजी, पर असंगठित तौर पर आपने भी कुछ कदम उठाये हैं पर आप के संगठन को इस दिशा में बहुत काम करने की जरूरत है। नीतीश जी मुझे मालूम है कि आपकी पहल पर इस तरह का एक प्रयास किया गया था पर उसका कोई खास नतीजा इस लिये नहीं निकल सका क्योंकि कुछ नेताओं ने इस मामले में भी योग्य और समाजवादी समझ के युवाओं की जगह अपनों को प्राथमिकता दी।
दूसरी तरफ बिहार भाजपा ने इस दिशा में पूरी तरह प्रोफेशनल अप्रोच से काम लिया और उसने पाॅलिटिकल रिसर्चर्स की मजबूत टीम जुटा ली है। शायद आपको भी पता है कि अकेले सुशील मोदी के पास पाॅलिटिकल रिसर्चर्स की बड़ी टीम है और वह दिन रात उस टीम के जुटाये कंटेंट्स के बूते मीडिया में आपके खिलाफ गरजते रहते हैं।
समाजवादी नेताओं की समस्या यह भी है कि उन्हें थिंक टैंक भी स्वीकार्य नहीं। पिछले दिनों लालू प्रसाद ने कहा भी कि उनकी पार्टी में विचारकों की कोई जरूरत नहीं। लेकिन नीतीश जी आपकी कार्यपद्धति कुछ अलग है। आप के पास मजबूत टीम की गुंजाईश है तभी तो आपने अपनी पीड़ा सार्वजनिक तौर पर पिछले दिनों जाहिर भी की।
इसलिये यह उम्मीद की जा सकती है कि आने वाले दिनों में आप इस दिशा में कदम उठायेंगे।
Comments are closed.