मुसलमानों कान खोल कर सुन लो! मीडिया की नजरों में तुम्हारी जेब से निकली हुई बीड़ी और माचिस की डिबिया संसद को जला कर राख कर देने वाली है जबकि बजरंगियों के पास से मिले बम तो मात्र लौंडों की शरारत भर है.
वसीम अकरम त्यागी
भारतीय मीडिया से मुसलमानों और उनके संस्थाओं की शिकायत बहुत पुरानी है, विकास, शान्ति, सेवा और समाज सेवा की खबरे लगाने के लिए मीडिया उनकी बात देश को नहीं बताता, लेकिन बुखारी का मोदी को दावतनामा नहीं देना, किसी मौलवी का फतवा, मुस्लिम लड़कियों पर पाबंदियों की ख़बरें देने के लिए मीडिया में होड़ लगी रहती है.
मुस्लिम मोहल्ले दिखाने के लिए पाकिस्तानी या हरे रंग के झंडे दिखाए जाते रहे हैं, अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में ऐसे सैंकड़ों काम हुए हैं जिस पर इस देश को गर्व हो सकता है, साइंस, टेक्नोलॉजी और रिसर्च में अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का योगदान किसी से काम नहीं, लेकिन इस देश की जनता को ये बताना की यह यूनिवर्सिटी आतंकवादियों का अड्डा है, लड़कियों पर पाबन्दी हैं, मुसलमानों संस्थाओं की भयानक तस्वीर देश के सामने पेश करने का अपना अलग राजनीतिशास्त्र है, सड़क चलते टोपी कुरता वाले मुसलमान को निशाना बनाना, पुलिस को मुस्लिम दुश्मन बना देना और मुस्लिम इलाकों को हिन्दुओं के सामने इस्लामाबाद बना कर पेश करना एक खालिस राजनितिक मिशन है, जिसका फायदा उठा करा आज श्री नरेंद्र मोदी सत्ता सुख का लाभ कर रहे हैं.
ये है अखबारों का चरित्र
एक मुस्लिम टाइम्स ऑफ़ इंडिया जैसे तमाम भारतीय अखबारों के लिए आईएस आई का एजेंट है और एक हिन्दू डकैत सिर्फ एक अपराधी. जानना आसान है कि इसी भारतीय मीडिया के फैलाये जहर के असर से पुलिस तंत्र की हर गैर कानूनी धरपकड़ और हत्या अमरीका की, आतंकवाद के खिलाफ महायुद्ध से काम नहीं है. मुसलमान की जेब से मिलने वाली बीड़ी और माचिस संसंद को जला कर राख करदेने का षडयंत्र हो जाता है और उसके पास से निकले उर्दू का परचा मुल्ला उमर का फरमान बना दिया जाता है. एक हजार मिसालें सामने लाइ जा सकती ह., बजरंगी बम में और सिमी के षडयंत्र मे उन्हें राष्ट्रवाद का फर्क लगता है. नकली नोट मुसलमान अपराधी के पास मिले तो वो आई एस आई के नेटवर्क का हिसा है और अगर मिश्रा शर्मा वर्मा के घर से निकले तो लौंडों की शरारत मात्र!!
वामपंथी दोस्तों से
मीडिया का ये दोगलापन मुसलमानों को भारतीय व्यवस्था में अलग थलग कर देने, परमानेंट आरोपी और सदिंग्ध बनाये रखने के उद्देश्य की घृणित राजनीति है जिसे सत्ता का समर्थन भी प्राप्त रहा है!!
टाइम्स ऑफ़ इंडिया की इस राजनितिक पत्रकारिता को धक्का देने के लिए अलीगढ मुस्लिम विश्विद्यालय के छात्रों, छात्राओं को बधाई!!
जो मीडिया मुसलामानों को देश में काबीले नफरत बना देने की राजनीति करता है वो इस देश का, इसके लोकतंत्र का और इसके संविधान का दुश्मन है और इस दुश्मन को रोकना सबकी जिम्मेदारी है, वामपंथी/नारीवादी दोस्तों के जज्बे पर शक नहीं है लेकिन उन्हें पूरी तस्वीर देखे बगैर तीर चलाने की आदत छोड़नी होगी.
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