सिंगर सोनू निगम ने आजान पर विवादित टिप्पणी करके एक बहस छेड़ दी है. ऐसे में हमारे सम्पादक इर्शादुल हक ने भजन और आजान के अपने अनुभव को साझा किया है.
भजन का अनुभव-
मैं दस्वीं पास कर के आगे पढ़ाई के लिए दरभंगा चला गया. लहेरिया सराय के ख्वाजा सराय में रहने लगा. मकान के पछुआड़े एक तालाब था, जहां एक मंदिर स्थित था. सुबह चार बजे अनूप जलोटा के भजन से मेरी आंखें खुलती थीं. नित्य दिन यही मामला था. अनूप के मनलुभावन भजनों में मैं रम जाता था. तब उनके भजनों की एक एक पंक्तियां रट्टामार याद हो चुकी थीं. सुबह जागने की आदत तब से ही बनी. भजनों का यह सिलसिला छह बजे सुबह तक चलता था. शायद अब भी जारी हो. कोई तरदुद नहीं हुई. होती होगी किन्हीं को, यह पक्का नहीं कह सकता.
आजान.
मेरे गांव से करीब एक आठ सौ मीटर के फासले पर एक गांव है. वहां एक हिंदू किसान की भैंस को बच्चा हुआ.बच्चा दो तीन दिन में मर गया. जिन गाय भैंसों के बच्चे नहीं होते, उनका दूध उतरना बड़ा मुश्किल होता है. वह किसाना रोजाना आजान सुनते ही भैंस को दूहने की तैयारी में लग जाता था. फिर भैंस की आदत हो गयी कि जैसे ही आजान की आवाज आये वह पेन्हा जाती थी( पेन्हाना हमारे यहां दूध उतरने के लिए जानवर का तैयार हो जाने को कहते हैं.)
एक दिन गांव की मस्जिद की बैट्री डिस्चार्ज हो गयी. इस कारण बिना लाउड स्पीकर के आजान दी गयी, जिसे उस किसान की भैंस नहीं सुन पाई. नतीजा यह हुआ कि किसान सुबह-सुबह दौड़ा भागा मस्जिद में आया और शिकायत की कि आज आजान की आवाज क्यों नहीं आयी. उसे वजह बतायी गयी कि बैट्री चार्ज नहीं थी. जहां बैट्री चार्ज की जाती थी वह जगह पांच किलोमीटर की दूरी पर थी, और कोई था नहीं जिसे चार्ज करने भेजा जाये. किसान ने आग्रह किया कि बैट्री चार्ज कराने की जिम्मेदारी उसे दे दी जाये. फिर तब से वह लगातार बैट्री चार्ज कराने ले जाने लगा.
सोनू निगम भाई. एक बात सुनिये. दुनिया की सबसे प्यारी चीज मां होती है. लेकिन घृणा की नजर से मां को देखने वालों को भी उसमें हजार बुराइयां नजर आती हैं. तभी तो कुछ लोग मां की हत्या तक कर देते हैं. लेकिन मुहब्बत की आंखों से देखिए तो नफरत की ज्वाला में भी मुहब्बत नजर आती है.
रही बात आपके गीतों की, तो लाखों लोगों को आपके गीत पसंद हैं जो अलग-अलग आयजनों पर कानफाडू आवाज में आपके गीत बजाते हैं. पर ऐसे भी लाखों लोग हैं जिन्हें आप की चिचियाती आवाज से घृणा होती है. तो क्या आपके गीतों का सार्वजनिक प्रसारण बंद कर दिया जाये?
इन सब बातों के बावजूद मैं उन लोगों की भावनाओं के सम्मान के पक्ष में हूं कि भजन या आजान से कुछ लोगों को तरदुद जरूर होती होगी. इसलिए सुबह के भजन-कीर्तन और आजान की आवाज को कम रखा जाये तो ठीक है.