उच्चतम न्यायालय ने सरकारी विज्ञापनों के संदर्भ में उसके दिशानिर्देशों के कथित उल्लंघन के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब तलब किया। न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति एन वी रमन्ना की खंडपीठ ने केन्द्र सरकार से यह बताने को कहा है कि सरकारी विज्ञापनों के मामले में उसके दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन किया जा रहा है अथवा नहीं? न्यायालय ने यह भी पूछा कि क्या इसके अनुपालन के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की गई या नहीं?
सरकारी विज्ञापनों का मामला
याचिकाकर्ता सीपीआईएल की ओर से जाने-माने वकील प्रशांत भूषण की दलीलें सुनने के बाद शीर्ष अदालत ने केंद्र को नोटिस जारी करके जवाबी हलफनामा दायर करने को कहा है। न्यायालय ने नोटिस के जवाब के लिए चार सप्ताह का समय दिया है। गत मई में शीर्ष अदालत ने अपने दिशानिर्देश में कहा था कि न तो केंद्र सरकार और न ही राज्य सरकारें राजनीतिक फायदों के लिए विज्ञापनों पर सरकारी पैसे का दुरुपयोग करेंगी। इसने इन दिशानिर्देशों पर अमल के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित करने को भी कहा था।
उच्चतम न्यायालय ने अपने एक ऐतिहासिक फैसले में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को छोड़कर सरकारी विज्ञापनों में किसी नेता की तस्वीर प्रकाशित करने पर प्रतिबंध लगा दिया था। न्यायालय ने इनकी तस्वीरें उनकी अनुमति के बगैर नहीं लगाने का निर्देश दिया था। खंडपीठ ने कहा, “केंद्र सरकार इस बारे में जवाब दे कि हमारे आदेश के अनुरूप तीन-सदस्यीय निकाय का गठन किया गया है या नहीं और अगर नहीं किया गया तो ऐसा न करने के कारण बताए।”