उच्चतम न्यायालय ने आज समान नागरिक संहिता के लिए केन्द्र सरकार को निर्देश देने संबंधित याचिका की सुनवायी करने से इंकार कर दिया। याचिका एक स्थानीय अधिवक्ता ने दायर की थी।
अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने अपनी याचिका के माध्यम से उच्चतम न्यायालय से अपील की थी, कि वह मुस्लिम महिलाओं के साथ भेदभाव तथा उनके साथ हिंसा को समाप्त करने के मामले में हस्क्षेप करे और केन्द्र सरकार को समान नगारिक संहिता बनाने का निर्देश दे। उच्चतम न्यायालय की खंडपीठ ने, जिसकी अध्यक्षता मुख्य न्यायाधीश तीरथ सिंह ठाकुर ने की, यह कह कर याचिका पर सुनवायी करने से इंकार कर दिया की यह संसद पर निर्भर करता है कि वह इस मामले पर विचार करे।
न्यायालय की खंडपीठ ने कहा कि उच्चतम न्यायालय को ऐसे मामले में सरकार और संसद को निर्देश देने का कोई अधिकार नहीं हैं। मुख्य न्यायाधीश श्री ठाकुर ने वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रमण्यण को इंगित कर कहा कि अगर ऐसी जनहित याचिकाएं जो विधि संम्मत नहीं है। इस न्यायालय में दायर की गयी तो न्यायालय याचिकर्ता के विरुद्ध कड़ा रुख अपनाएंगा। न्यायालय ने याचिकर्ता श्री उपाध्याय से पूछा कि मुस्लिम महिलाएं जो भेदभाव की शिकार हैं, क्यों नहीं इसके निराकरण के लिए स्वयं न्यायालय के समक्ष आतीं।