उच्चतम न्यायालय ने तहलका पत्रिका के संस्थापक सम्पादक तरुण तेजपाल को आज फौरी राहत देते हुए उनके खिलाफ एक महिला कर्मचारी के यौन उत्पीड़न मामले की सुनवाई पर तीन सप्ताह की रोक लगा दी। मुख्य न्यायाधीश एच एल दत्तू की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने निचली अदालत को मामले से संबंधित सभी दस्तावेज आरोपी को उपलब्ध कराने का निर्देश भी दिया। न्यायालय ने तेजपाल को आगाह कर दिया है कि वह भी किसी न किसी आधार पर मामले की सुनवाई में अडंगा लगाने से बचे। याचिकाकर्ता की दलील है कि अभियोजन एजेंसी न्यायिक प्रक्रिया के रास्ते से भटक गयी है और वह यह मानने को तैयार नहीं है कि त्वरित सुनवाई भी निष्पक्ष सुनवाई का ही एक पहलू है।
याचिकाकर्ता ने गोवा की अतिरिक्त सत्र अदालत के गत 23 दिसम्बर के उस फैसले को चुनौती दी है, जिसमें उसने आरोप तय करने के लिए जिरह शुरू किये जाने को मंजूरी दे दी है। तेजपाल को शीर्ष अदालत ने पिछले साल जुलाई में जमानत देकर गोवा की अदालत को आठ महीने में सुनवाई पूरा करने को कहा था। तेजपाल ने अपनी याचिका में कहा है कि उन्हें गोवा पुलिस ने अभी मामले से संबंधित महत्वपूर्ण दस्तावेज नहीं दिए हैं. लिहाजा सुनवाई पर रोक लगाई जानी चाहिए।
गौरतलब है कि तेजपाल पर गोवा में तहलका के एक कार्यक्रम के दौरान होटल में अपनी सहयोगी से दुष्कर्म के प्रयास के आरोप लगे हैं। तेजपाल पहले अपनी गलती को स्वीकार करते हुए प्रयाश्चित्त के नाम पर खुद को तहलका के संपादक के पद से अलग करते हुए छह महीने के लिए छुट्टी पर चले गए थे। जिसे पीडिता और दूसरे सोशल अर्गेंनाइजेशन ने रिजेक्ट कर दिया था। बाद में तेजपाल के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी, जिसके बाद पुलिस ने तेजपाल को गिरफ्तार कर लिया था। पिछले साल एक जुलाई को तेजपाल को जमानत मिल गई थी।